Vastu Tips: इन कारणों से आती है आपकी सफलता में रूकावट

Monday, Jan 27, 2020 - 12:53 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में हर काम को शुरू करने से पहले पूजा-पाठ किया जाता है और वहीं भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव के रूप में पूजा जाता है। जिस प्रकार शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा को लेकर नियम बताए गए हैं, ठीक वैसे ही वास्तु शास्त्र में भी पूजा-पाठ को लेकर कई नियम बताए जाते हैं। हर इंसान के घर में मंदिर तो बना ही होता है और उसी मंदिर में इंसान जान-अंजाने में कोई न कोई गलती कर बैठता है, जोकि उसकी उन्नति में बाधक बनती है। आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। 

बहुत से लोग अपने शयन कक्ष में ही पूजा स्थान बना लेते हैं जो वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं है। शयन कक्ष में पूजा घर नहीं होना चाहिए इससे पारिवारिक जीवन के संबंधों में परेशानी आती है।
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आजकल घर में मंदिर बनाने का प्रचलन बढ़ गया है। जबकि वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में पूजा का स्थान अलग से होना चाहिए लेकिन यह मंदिर नहीं होना चाहिए। मंदिर खुले स्थानों में होना वास्तु के अनुसार उचित है।

अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि लोग कहीं बाहर जाते हैं तो घर में ताला लगाकर चले जाते हैं और अंदर पूजा घर में भगवान को भी बंद कर देते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार मकान में आपने पूजा घर बनाकर उनमें देवी-देवताओं को बैठाया है तो यह प्रयास करना चाहिए इनकी पूजा नियमित हो और घर में भले ही ताला लगाएं लेकिन पूजा घर में ताला लगाकर नहीं जाना चाहिए।

पूजा घर में पुराने हो चुके फूल, माला, अगरबत्तियां जमा करके नहीं रखें इनसे नकारात्मक उर्जा का संचार होता है जो आपकी खुशियां और आय को कम करने का काम करते हैं।

वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर शौचालय और स्नान गृह की दीवारों से लगा हुआ नहीं होना चाहिए।
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रसोई घर के साथ भी पूजा घर नहीं होना चाहिए इसकी वजह यह है कि रसोई घर में जूठन और डस्टबीन जैसी चीजें पवित्रता को नष्ट करते हैं।

Lata

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