कहीं आपके घर के फर्नीचर में तो नहीं है भूतों-प्रेतों का बसेरा

Monday, Jan 28, 2019 - 10:36 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

घर में यदि वस्तुएं वास्तु के अनुसार फर्निश न हों तो वास्तु और ग्रहों की अशुभता के कारण घर में क्लेश, अशांति का जन्म होता है। घर के बाहर की साज-सज्जा बाहरी लोगों को एवं आंतरिक शृंगार हमारे अंत:करण को सौंदर्य प्रदान करता है। जिससे सुख-शांति और सुंदरता प्राप्त होती है। घर की आंतरिक सुंदरता में फर्नीचर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। घर में फर्नीचर बनवाने के लिए बहेड़ा, पीपल, वटवृक्ष, पाकर, कैथ, करंज, गूलर आदि लकड़ियों का प्रयोग न करें। नकारात्मक पेड़ की लकड़ी सजाने से घर में भूतों-प्रेतों का बसेरा बन जाता है, जो सुख का नाश कर देता है।  नया मकान बनवाते समय नई लकड़ी उपयोग में लाएं। पुरानी लकड़ी लगाने से नकारात्मकता बढ़ती है, जिससे घर के मालिक पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। 

मंगलवार, शनिवार और अमावस्या के दिन फर्नीचर या लकड़ी खरीदनी नहीं चाहिए। इससे ऊपरी शक्तियों के घर में बने रहने का भय बना रहता है।

शुभ मुहूर्त देखकर फर्नीचर या लकड़ी खरीदें।

वास्तु के अनुसार लकड़ी गुड लक लाती है, जब भी घर में मंदिर बनाएं या रखें तो वे लकड़ी का ही होना चाहिए।

हल्का फर्नीचर उत्तर और पूर्व दिशा में रखें, भारी फर्नीचर दक्षिण और पश्चिम दिशा में सजाएं।

फर्नीचर में शीशम, महुआ, अर्जुन, बबूल, खैर, नागकेसर वृक्ष की लकड़ी काम में ले सकते हैं। इन लकडिय़ों का फर्नीचर घर का वातावरण शांत और समृद्धि बढ़ाने वाला होता है।

पलंग के सिरहाने पर अशुभ आकृति न हो इसका ध्यान रखें जैसे सिंह, गिद्ध, बाज या अन्य हिंसक पशु। ऐसा होने पर मेंटन टेंशन पैदा होती है जो कलह का कारण बनती है। 

फर्नीचर पर हल्की पॉलिश करवाएं, डार्क और डल कलर्स अशुभता लाते हैं।

 फर्नीचर के किनारे नुकीले नहीं बल्कि गोलाकार होने चाहिए। 

कुंभ के बारे में कितना जानते हैं आप !


 


 

Niyati Bhandari

Advertising