इस दिशा से घर में प्रवेश करती हैं माता लक्ष्मी व उनके खजांची कुबेर

Thursday, Dec 02, 2021 - 10:21 AM (IST)

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Main Gate Vastu: हर प्रकार के भवन निर्माण के समय उसके प्लॉट के वर्गीकरण के आधार पर अलग-अलग ग्रहदशा के जातकों के ग्रहों के प्रभाव के अनुसार ही भवन दिशा के साथ साथ भवन के मुख्य गेट के पहलू पर भी वास्तु के अनुसार विषेश ध्यान देने की आवश्यक्ता होती है। अधिकतर ऐसा देखा गया है कि घर का निर्माण तो वास्तु के अनुसार किया जाता है परन्तु मुख्य द्वार के निर्माण पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता जिस कारण से घर की तरक्की पर इसका विषेश प्रभाव पड़ता है।

Vastu for home entrance: आज के इस आधुनिक व भौतिकवादी समय में हर कोई कम समय में अधिक धन व सुविधायुक्त जीवन जीने को लालायित है जिसके लिये वह सभी प्रकार के प्रयत्न करता है। इन सब उपायों को अपनाने के बाद भी केवल कुछ ही व्यक्तियों को इसमें सफलता मिल पाती है। देव कृपा, कर्म व किस्मत इन तीनों आयामों के बल पर ही व्यक्ति सफल जीवन यापन करने में सफल हो पाता है। अगर हम रूप्या ज्यादा कमा भी लें तो उसका उपभोग व आनन्द प्राप्ति के लिये एक सकून की जगह तलाशते हैं और अगर वह सकून हमें अपने घर में भी ना मिले तो ऐसे धन का क्या फायदा तो हमें भवन के मुख्य द्वार का भी वास्तु विज्ञान के सिद्धांत के अन्तगर्त विशेष ध्यान रखना चाहिए।

Vastu Shastra tips for the main door: वास्तु विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार, घर के मुख्य दरवाजे पर छाया नहीं पड़नी चाहिये। इसके लिये यह ध्यान रखें कि घर के मुख्य दरवाजे पर किसी पेड़ या पॉल इत्यादि न रहे।

मुख्य दरवाजे से लगने वाली सीढ़ियों की संख्या विषम अर्थात 3, 5, 7, 9, हो जो कि 2 से डिवाईड न हो सकें।

गृह प्रवेेश के मुख्य दरवाजे के अनुपात में उसकी चौड़ाई आधी रखें।

घर का मेन गेट घर के अन्य दरवाजों से उंचा होना चाहिये। वास्तु विज्ञान में इसका उल्लेख है कि यह शुभ होता है। ताकि अधिकतम सकारात्मक उर्जा घर प्रवेश कर सके।

घर की दिशा में ही मेन गेट होना चाहिये। कभी भी विपरीत दिशा में दरवाजे इत्यादि नहीं होने चाहिये ताकि घर में सकारात्मक उर्जा के संचरण में बाधा उत्पन्ना न हो सके।

घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होने से धन का आगमन होता है क्योंकि यह दिशा माता लक्ष्मी व उनके खजांची कुबेर जी की दिशा होती है।

घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में रहने से घर में ज्ञान की प्राप्ति होती है तथा घर में प्राकृतिक तौर पर भी शांति बनी रहती है।

घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ रहने से सौभाग्य की वृद्धि होती है एवं जिन जातकों को शनि सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है उनको यह दिशा अधिक फलीभूत होती है।

घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की तरफ होने के कारण घर में अनायास ही बिमारियों का आगमन होता रहती है तथा धन हानि व अकाल मृत्यु के भी योग बनते है। महार्षि भृृगु जी व माता पोलमा के पुत्र विश्वकर्मा जी ने वास्तु विज्ञान को लेकर विभिन्न सिद्धांतों का उल्लेख किया जिसमें कि - दक्षिण दिशा के भवनों के उल्लेख पर विशेष जोर दिया गया है। जिसमें कि वास्तु विज्ञान के सिद्धांतों में दक्षिण दिशा में आवासीय भवन निर्माण को शुभ नहीं बताया गया। अगर किसी कारणवश उसमें रहना भी पड़े तो वास्तु के अन्तर्गत जन्मकुंडल के अनुसार कई प्रकार के उपायों का अनुसरण अनिवार्य बताया गया है।

इसी के साथ-साथ अलग-अलग दिशाओं के गेट चाहे व आवासीय हों या व्यवसायिक उनका जातको के ग्रहों की अनुकूलता के हिसाब से ही प्रभाव पड़ता है। जो किसी प्रबुद्ध ज्योतिष वैज्ञानिक से ही सलाह लें क्योंकि बिना ग्रहों की पूर्ण जानकारी के वास्तु कम्पलीट नहीं हो सकता क्योंकि वास्तु विज्ञान जो कि ज्योतिष विज्ञान की भवनों के निर्माण संबंधित एक छोटी सी शाखा ही है।

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)    

Niyati Bhandari

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