रसोई में अग्नि का कम उपयोग करता है गृहिणी को सबसे ज्यादा प्रभावित

Thursday, Dec 16, 2021 - 01:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर का एक प्रमुख हिस्सा रसोई होता है, जिसका सबसे खास संबंध होते है घर की गृहिणी का। यही कारण है कि इन्हें हाउस मेकर भी कहते हैं। तो वहीं लोग इन्हें प्यार और विनोद में होम मिनिस्टर आदि भी कहते है। इसका कारण ये है कि घर की गृहिणी सीधा प्रभावित करती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो मुख्य रूप ,से घर की गृहिणी का संबंध घर के पूर्व और दक्षिण के मध्य यानि आग्नेय कोण से अधिक होता है। इस कोण या दिशा के स्वामी या कह सकते हैं इस आग्नेण कोण को भगवान विश्वरकर्मा जी ने अग्नि तत्व प्रधान बताया है। मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा भगवान ने इसी कोण में रसोई बनाने का प्रावधान किया था। तो वहीं ये भी माना जाता है कि यह स्थान शुक्र ग्रह से सीधा संबंध रखता है। 


इन्हीं सभी कारण के चलते रसोई को घर का एक खास व महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। तो आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में बताई गई इससे जुड़ी खास बातें-
प्राचीन समय की बात करें तो पहले लोग अपने घर की रसोई में ही भोजन किया करते थे परंतु समय के साथ साथ यह मान्यताएं बदलती जा रही है। आजकल के समय में रसोई में अग्नि की लो धीरे-धीरे करके समाप्त होती दिखाई दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज जैसे कि माइक्रोवेव और इंडक्शन के आ जाने से अग्नि लो रूप में अध्यक्ष होने लगी है। वास्तु शास्त्र की मानें तो फ्लेमलेस किचन से घर की ग्रह न्यू को सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। जी हां कहा जाता है कि रसोई में अग्नि के कम होने से वास्तु और ग्रहणी के बीच का संतुलन बिगड़ने लगता है जिसकी वजह से ना केवल ग्रहणी को बल्कि उसके पूरे परिवार को इसका नुकसान होता है।


तो वही फ्लेम लेस किचन का एक कारण यह भी है कि इस बदलते दौर में वह भागदौड़ की जिंदगी में लोग जहां एक तरफ बाहर से खाना मंगवाने के चलन को बढ़ावा दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कंपनियां भी इन्हें बाहर से खाना मंगवाने के लिए अपनी ओर लुभा रही है। जिसके चलते धीरे-धीरे घर में अग्नि तत्व की उपयोगिता कम होती जा रही है। और इसी के चलते घर का आगे कौन प्रभावित होता है।

बताया जाता है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर का यह हिस्सा कम उपयोग होता है तो इसका असर सीधा वहां रहने वाले लोगों के मन व स्वास्थ्य पर पड़ता है। वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि शुक्र देव और अग्नि देवी इस अग्नि को निर्माण करने का कार्य करते हैं तथा शुक्र घर की ग्रहणी का कारक हैं।


तो ऐसे में महिलाओं को क्या करना चाहिए जानें जहां-
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि जो महिलाएं का कर्म क्षेत्र में एक्टिव हों और उनके लिए रसोई में समय दे पाना संभव ना हो तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भले ही वे प्रत्यक्ष रूप से भोजन निर्माण ना कर पाए लेकिन वहां का प्रबंधन जरूर देखें। जैसे कि अगर घर में भोजन बनाने वाली सहयोगी हो तो उसे यानी मेड को क्या खाना बनाना है कितना और किस तरह से बनाना है आदि पर नियंत्रण रखें। इसके अलावा इस बात का भी खास ख्याल रखना आवश्यक होता है कि अन्न देवता की बर्बादी किसी भी कारण वश ना हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में अन्न का निरादर, अन्न की बर्बादी या अन्न के लिए कला क्लेश होता है उस घर में कभी भी वृद्धि व सुख समृद्धि नहीं आती।

 

Jyoti

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