श्मशान के आस-पास कभी न बनवाएं घर वरना...

punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2019 - 10:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
घर बनवाते समय हर कोई कई चीज़ें प्लान करता है। जैसे घर का डिजाइन कैसा हो, उसमें रखे जाने वाला समान कैसा हो या फिर फर्नीचर और फर्श कैसा होना चाहिए। वहीं वास्तु शास्त्र में र बनावते समय केवल दिशाओं का ही नहीं बल्कि डिजाइन व रंग का भी उतना ही महत्व होता है। कहते हैं कि घर में अगर वास्तु दोष पैदा हो जाए तो घर की खुशियां छिन जाती है।
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घर को खुशियों से हरा-भरा रखने के लिए, वास्तु दोषों से मुक्त रखना बहुत जरूरी है। वहीं अगर गलत जमीन पर घर या ऑफिस भी बना लेने से पूरी इमारत वास्तु दोष से भर जाती है। ऐसे घर के सदस्यों में मानसिक परेशानियां और आपसी झगड़े रहते हैं। वास्तु दोष से युक्त जमीन पर ऑफिस बना लेने से व्यापार चलने से पहले ही ठप पड़ जाता है। लेकिन इसके पीछे का कारण क्या आप में से कोई जानता है। किंतु सोचने वाली बात तो यही है कि कहीं जमीन में गड़बड़ तो नहीं। जहां घर बनाया है या बनाने जा रहे हैं कहीं उसके नीचे या आस-पास श्मशान तो नहीं है। 

जी हां, वास्तु शास्त्र के अनुसार श्मशान वाली जमीन के ऊपर या उसके आसपास भी मकान बनाना, खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। ऐसा घर कभी भी खुशहाल नहीं बन सकता है लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है, वास्तु शास्त्र में जीवन की हर मुश्किल का हल है। 

वास्तु शास्त्र की राय में यदि श्मशान के आसपास भी घर बना लिया जाए तो कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। सबसे पहली बात यह कि श्मशान से हर पल नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो किसी को भी मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है।
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घर के समीप श्मशान की स्थिति घर में रहने वाले सदस्यों में डर एवं भय का संचार करती है। यह भय मनुष्य की बुद्धि को असंतुलित कर देता है जिसके प्रभाव से मनुष्य का आत्मविश्वास बाधित होता है। ऐसे घर में रहने वाले सदस्यों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।

श्मशान के पास घर होने से प्रतिदिन शव देखने के कारण मनुष्य में शोक का संचार रहेगा। शोक से हृदय में नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। शोक का एहसास बार-बार होने से मनुष्य के अंदर वैराग्य की भावना भी जन्म ले सकती है।

श्मशान में प्रतिदिन शव को जलाने से उत्पन्न होने वाली चर्बी की दुर्गंध से आस-पास का वातावरण प्रभावित होता है। प्रदूषित वातावरण घर में रहने वाले सदस्यों को प्रभावित करता है, जिससे घर के अंदर तनावमय वातावरण बन सकता है। केवल शव के कारण ही नहीं, श्मशान में शव के साथ आने वाले जनसमूह के कारण भी आस-पास के घरों की शांति भंग होती है। 
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यदि मजबूरी में कभी श्मशान के पास घर लेना भी पड़े, तो यह घर श्मशान से कम से कम 300 मीटर की दूर पर ही स्थित होना चाहिए। इतनी दूरी बरकरार रखने से श्मशान से आने वाली बुरी ऊर्जा से अधिक से अधिक बचा जा सकता है।


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