जब घर की रोनक बढ़ानी हो...
punjabkesari.in Friday, Aug 16, 2019 - 10:45 AM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए टेंशन से मुक्ति आवश्यक है। मन के स्वभाव के अनुसार पर्यावरण ही व्यक्ति में प्रसन्नता या मानसिक तनाव उत्पन्न करता है। मनुष्य लम्बे समय तक जहां रहता है उस स्थान में शामिल सभी तरह की ऊर्जा का प्रभाव लगातार उस पर पड़ता रहता है। ऊर्जा छोटी-छोटी तरंगों के रूप में होती है, इसलिए वह मनुष्य के मन-मस्तिष्क की तरंगों को प्रभावित करती है, जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। वास्तु शास्त्र का उद्देश्य ही अपने रहने या कार्य स्थल का पर्यावरण से समानता स्थापित करना है।
गृहसज्जा के लिए वास्तु निर्देश
यदि आप घर की दीवारों पर कलाकृतियां लगाते हैं उसके लिए आप सुसज्जित देवी श्री लक्ष्मी, गाय और बछड़ा, कमल के फूल, मोर का जोड़ा अथवा शंख, स्वास्तिक चिन्ह और युग्म मीन की कलाकृतियां ही होनी चाहिएं।
सूअर, चील, सांप, राक्षस, गिद्ध, उल्लू, हाथी, बाघ,शेर, भेडिय़ा, रीछ, गीदड़ आदि जंगली जानवरों की कलाकृतियों से बचना चाहिए।
इसी के साथ रामायण और महाभारत के हिंसक दृश्य, तलवारों के प्रयोग वाले लड़ाई के दृश्य, इंद्रजाल, भयानक दैत्यों या राक्षसों की पत्थर, काष्ठ या धातु की मूर्तियों और रोते हुए अश्रुुपूरित चिल्लाते हुए लोगों के दृश्यों से संबंधित चित्र घरों में अच्छे नहीं होते।
घरों या भवनों में वही प्रदर्शित किया जाना चाहिए जो देखने वालों की आंखों को अच्छा लगे। उन्हें प्रसन्नता देने वाला हो। सजावट के लिए वस्तुएं या तस्वीर और चित्रों के चयन करते समय सौंदर्य और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।
सुसज्जित लाइटें, झाड़-फानूस, पुस्तकों की अलमारी, फूलदान, सोफा, मेज और कुर्सी आदि बड़ी सावधानी से रूचिपूर्वक चुनने चाहिएं और उपयुक्त स्थानों पर रखने चाहिएं ताकि वे आकर्षक दिखें।