Vasant Panchami Saraswati puja : सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने की थी मां सरस्वती की पूजा

Friday, Jan 26, 2024 - 08:27 AM (IST)

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Basant Special: बसंत पंचमी का त्यौहार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। माघ मास को यज्ञ, दान तथा तप आदि की दृष्टि से बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है। बसंत के आगमन पर शीत से जड़त्व को प्राप्त प्रकृति पुन: चेतनता को प्राप्त होने लगती है। भगवान श्रीकृष्ण गीता जी में कहते हैं कि ‘ऋतुनां कुसुमाकर:’। ऋतुओं में वसंत मैं हूं। बसंत को ऋतुराज भी कहा जाता है।

Basant Panchami 2024: सज्जन एवं गुणवान व्यक्तियों के स्वभाव तथा वाणी में माधुर्य कोमलता जैसे गुण शामिल होते हैं। उनका शालीन व्यवहार सबको आनंद प्रदान करने वाला होता है। कठोर एवं अभिमान युक्त वाणी एवं रुखे व्यवहार से न केवल दूसरों को कष्ट होता है अपितु उनकी कार्य क्षमता तथा स्वभाव पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

Basant Panchami Significance: बसंत का आगमन यह संदेश देता है कि जिस प्रकार बसंत के आने से प्रकृति का माधुर्य मन एवं शरीर को शीतलता तथा अनुकूल आनंद प्रदान करता है, शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, शीत ऋतु की जकड़न से मुक्त हुए शरीर को एक नई अनुभूति होती है, जिस प्रकार जीवात्मा तत्व ज्ञान के अभाव में त्रिगुणात्मक पदार्थों को भोगता हुआ कर्म बंधन में जकड़ा रहता है और तत्व ज्ञान की प्राप्ति स्वरूप वह राग द्वेष आदि द्वंद्वों से रहित पुरुष संसार बंधन से मुक्त हो जाता है, ठीक वैसे ही हमें अपने जीवन में इसी प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन हेतु सदैव तत्पर रहना चाहिए।

Basant Panchami Kyu Manaya Jata Hai: जिस प्रकार ऋतु परिवर्तन से प्रकृति में आनंद भरने वाली बसंत ऋतु का आगमन होता है, उसी प्रकार जीवन में निरंतर उत्साह तथा मन की प्रसन्नता से जीवन उमंग के रंग से भर जाता है। बसंत पंचमी का संबंध विद्या एवं संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती जी के जन्म दिवस से भी है। ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।

Happy Basant Pachami 2024: एक समय भगवान श्री कृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर कहा था कि उनकी बसंत पंचमी के दिन विशेष आराधना करने वालों को ज्ञान विद्या कला में चरम उत्कर्ष प्राप्त होगी। तब सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण जी ने मां सरस्वती जी की आराधना की। सृष्टि निर्माण के लिए मूल प्रकृति के पांच रूपों में से सरस्वती एक हैं, जो वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं।

What is Saraswati Puja 2024: मां सरस्वती को वागेश्वरी, भगवती, शारदा और वीणावादिनी सहित अनेक नामों से संबोधित किया जाता है। शिक्षा के प्रति जन-जन के मन-मन में अधिक उत्साह भरने के उद्देश्य से बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती जी के पूजन की परम्परा को आरंभ किया गया।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदंडमण्डितकरा या श्वेतपद्यासना।
या ब्रह्मच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा॥

Saraswati puja: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो  श्वेत वस्त्र धारण करती हैं जिनके हाथ में वीणा दंड शोभायमान हैं जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

 

Niyati Bhandari

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