Vasant Panchami: आज मनाया जाएगा प्रकृति व सरस्वती वंदना का उत्सव ‘वसंत पंचमी’

Wednesday, Feb 14, 2024 - 07:22 AM (IST)

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Vasant Panchami 2024: माघ मास का हमारे आध्यात्मिक शास्त्रों में विशेष महत्व है। इसी मास की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी तथा सरस्वती आराधना एवं आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाता है। वसंत पंचमी के पर्व से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है। वसंत को ऋतुओं का राजा कहा गया है। प्रकृति का सौंदर्य इस ऋतु में अपने चरम पर होता है। पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर अपने मनमोहक रूप में प्रकट होते हैं।हमारे धार्मिक ग्रंथों में वसंत पंचमी को सभी धार्मिक तथा आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त माना गया है।

Significance of Celebrating Basant Panchami: यह ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की आराधना को समर्पित उत्सव है। सरस्वती हमारी परम चेतना हैं। यह हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका ईश्वर स्वरूपा शक्ति हैं। हमारे आचार तथा मेधा की आधार यही सरस्वती हैं। ज्ञान की अधिष्ठात्री सरस्वती की प्रतिमा तथा वस्त्र-आभूषण आदि में प्रतीकात्मक रूप से अनुकरणीय संदेश समाहित है। इनका वाहन हंस विवेक शक्ति तथा सत्य असत्य की परख का प्रतीक है। अर्थात मनुष्य को भी अपनी मनोवृत्ति हंस के समान विवेकशील बनानी चाहिए। हाथों में पुस्तक हमें निरंतर सद्ग्रंथों के स्वाध्याय की प्रेरणा देती हैं। सफेद वस्त्र सात्विकता, पवित्रता के परिचायक हैं। सरस्वती की वीणा हमें जीवन में सदैव मधुर संगीत के स्वरों की भांति आनंद और उल्लास के वातावरण को सृजित करने का संदेश देती है।

Importance of wearing yellow on basant Panchami: इस प्रकार सरस्वती आराधना का यह उत्सव मनुष्य को सदैव विवेक शक्ति से परिपूर्ण करके निरंतर आध्यात्मिक शास्त्रों के चिंतन, मनन से अपना जीवन सात्विक, पवित्र व उल्लासमय बनाने की प्रेरणा देता है। वसंत पंचमी के अवसर पर पीले रंग की वेशभूषा तथा पीले रंग के पकवानों का विशेष महत्व है। पीला रंग शुभ माना गया है। यह हमें उल्लास, परिपक्वता तथा आनंद की अनुभूति कराता है क्योंकि रंगों का हमारे जीवन से गहरा संबंध है। पीले रंग के परिधान हमारे मस्तिष्क के उस भाग को सक्रिय करते हैं जो हमारी चिंतन शक्ति का केंद्र है। वसंत ऋतु का लगभग दो महीने का यह समय प्रकृति के वातावरण को वातानुकूलित बना कर संपूर्ण प्राणियों को जीने की नई ऊर्जा देता है।

Basant Panchami Festival: आयुर्वेद शास्त्र में कहा गया है कि वसंत ऋतु में शुद्ध सात्विक वायु में भ्रमण करना शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। भयंकर शीत ऋतु से जब संपूर्ण प्राणियों के जीवन में ठहराव एवं स्थिरता आ जाती है, तब यह वसंत ऋतु संपूर्ण वातावरण में नई स्फूर्ति का संचार करती है। ठीक इसी प्रकार सरस्वती की आराधना मानव के जीवन में आई हुई मानसिक तथा आत्मिक जड़ता तथा स्थिरता को नए उल्लास और नई ऊर्जा से परिपूर्ण करती है। वसंत पंचमी का यह पर्व हमें प्रकृति के सौंदर्य के साथ चलते हुए अपने अंत:करण में  ज्ञान, शील, त्याग, तप, संयम, सत्य व स्नेह धारण करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

 

Niyati Bhandari

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