Valmiki Jayanti: वाल्मीकि के महाकवि बनने में था इस शख्स का हाथ

Wednesday, Oct 24, 2018 - 11:52 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय: पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ रामायण के रचियता थे। इन्हें आदि कवि की पदवी प्राप्त थी। लेकिन ये कवि बने कैसे इस बारे में किसी को नहीं पता होगा। तो आइए आज इनके जन्म दिवस के मौके पर जानते हैं इनके बारे में कि आखिर वाल्मीकि को अनेकों भाषाओं का ज्ञान कैसे व कहां से प्राप्त हुआ। 

महर्षि वाल्मीकि का इतिहास

कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। कहा जाता है कि उनका पालन-पोषण भील जाति में हुआ था। अपनी आजीविका को चलाने के लिए ये डाकू का काम करते थे जो जंगल में आते-जाते लोगों को लुटते थे। एक बार की बात है कि नारद मुनि जंगल से गुज़र रहे थे तभी रास्ते में डाकू रत्नाकर ने उन्हें पकड़ लिया था। नारद मुनि के प्रश्न पूछने पर कि तुम ये काम क्यों करते हो। डाकू रत्नाकर ने जवाब देते हुए कहा कि मुझे अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए यह पाप का काम करना पड़ता है। रत्नाकर ये जवाब सुनकर नारद जी ने उससे पूछा कि जो पाप तुम अपने परिवार के लोगों के लिए कर रहे हो क्या वह तुम्हारे पाप के हिस्सेदार बनेगे जिसका जवाब डाकू रत्नाकर नहीं दे सका।

नारद जी की इस बात का डाकू रत्नाकर पर गहरा असर पड़ा और उसने अपना पेशा छोड़ दिया और कई वर्षों तक राम नाम का जप किया। इसके बाद उन्होंने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की। जिन्हें बाद में महर्षि वाल्मीकि के नाम से जाना जाने लगा।

शारदीय नवरात्र : कलश स्थापना 2018 (VIDEO)

Jyoti

Advertising