Happy Valmiki Jayanti 2021: मानवता के मार्गदर्शक भगवान वाल्मीकि जी

Wednesday, Oct 20, 2021 - 07:50 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Happy Valmiki Jayanti 2021: एक ऐसा महान देश है, जहां मानवता की भलाई के लिए समय-समय पर आध्यात्मिक महापुरुषों ने प्रकट होकर पूरे विश्व में अपनी विचारधारा को प्रकट किया। इन महान आत्माओं की कतार में परोपकारी और दयावान भगवान वाल्मीकि जी का नाम और उनकी शिक्षाएं सबके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वह एक उत्कृष्ट गुरु, संस्कृत भाषा के विद्वान, संगीत शिक्षा, श्रेष्ठ कवि तथा सशस्त्र विद्या के महान गुरु हैं। भगवान वाल्मीकि जी ने अपने महान काव्य की रचना करके भारतीय दर्शन का निर्माण किया जिसमें उन्होंने रूहानियत का मार्ग बता कर समस्त मानवता को सामाजिक भलाई करते हुए अपने आनंदमयी जीवन को जीने का ढंग बताया। ज्ञान के सागर महाकवि भगवान वाल्मीकि जी ने महान ग्रंथ योग वशिष्ठ की रचना की, जो दुनिया का सबसे पहला काव्य व्याकरण, काव्यशास्त्र, काव्य शैली और काव्यात्मक शब्द संयोजन का सम्पूर्ण ज्ञान भंडार है।


Inspirational and motivational quotes by Maharishi Valmiki: भगवान वाल्मीकि जी की विचारधारा में श्रेष्ठ दर्जे के गहरे गंभीर सिद्धांत और उपदेश उपलब्ध हैं जो मानवता के लिए आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। रामायण में भगवान वाल्मीकि जी ने कर्म संबंधी आसानी से समझ आने वाला सिद्धांत प्रस्तुत करते हुए कहा है कि जो मनुष्य उसे दिए गए कार्य को पूरा करके उसके अनुसार दूसरे कार्य को भी स्वयं ही सम्पूर्ण कर लेता है, उसी को श्रेष्ठ माना जाता है।

भगवान वाल्मीकि जी की विचारधारा के अनुसार मातृ भूमि का स्थान सर्वोपरि है जो स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान रखती है। वाल्मीकि जी का आदेश है कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभूमि तथा देश के लिए अपनी जिंदगी का एक-एक पल न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

राजनीति के बारे में उनका कहना था कि सम्राट को विद्वानों तथा बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। विभिन्न कार्यों के लिए योग्य व्यक्तियों को वजीर लगाना चाहिए। सम्राट को कर लगाने से पूर्व प्रजा की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करवानी चाहिए। वही शासन वास्तव में कल्याणकारी शासन होता है जहां पर सब व्यक्तियों को इंसाफ मिले। भगवान वाल्मीकि जी ने धर्म, अर्थ तथा कर्म इन तीनों में से धर्म को ही श्रेष्ठ माना है। उनके अनुसार जो मनुष्य अपने कर्तव्य निष्कपट ढंग से पूरे करता है, वास्तव में वही अपने धर्म का पालन करता है। दयावान भगवान वाल्मीकि जी ने संस्कृत के अलावा विभिन्न भाषाओं का गहरा अध्ययन किया।

भगवान वाल्मीकि जी ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए कानपुर गंगा तट तथा तमसा नदी के तट पर अनेक शिक्षा केंद्र खोले जहां से अनेक श्रद्धालुओं ने शिक्षा ग्रहण की। इतिहास साक्षी है कि भगवान वाल्मीकि जी नारी जाति के रक्षक बन कर आगे आए।  वाल्मीकि जी ने सीता माता को अपने आश्रम में शरण देकर उनका हौसला बढ़ाया। उन्हीं के आश्रम में श्री राम चंद्र जी के पुत्रों लव और कुश का जन्म हुआ और सतगुरु भगवान वाल्मीकि जी से उन्होंने सशस्त्र विद्या भी हासिल की।   

 

Niyati Bhandari

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