Valmiki jayanti 2020: भारतीय संस्कृति के नाविक, दयावान वाल्मीकि भगवान

Friday, Oct 30, 2020 - 06:04 AM (IST)

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Maharishi Valmiki Jayanti 2020: सम्पूर्ण विश्व में महाकाव्य ‘रामायण’ के रचयिता, भारतीय संस्कृति के नाविक, सामर्थ्यशाली, महाज्ञानी, परम बुद्धिमान, महर्षि, दयावान वाल्मीकि भगवान जी को आदि कवि एवं संस्कृत कविता के पितामह के रूप में जाना और माना जाता है और यह महाकाव्य दुनिया के सर्वोतम महाकाव्य के रूप में विख्यात है।


सभी गुणों से युक्त इस महाकाव्य में भगवान वाल्मीकि जी ने प्रभु श्री राम जी के चरित्र विषयक वर्णन किया है, जिसमें उनके महापराक्रम, सर्वानुकूलता, लोकप्रियता, क्षमा, सौम्य भाव तथा सत्यशीलता का उल्लेख है। यह एक ऐसा भव्य तथा अद्भुत चरित्र है जो प्राचीन होते हुए भी नवीन है, मानवी होते हुए भी अनुपम, दिव्य तथा मानव जीवन के स्थायी मूल्यों से भरपूर तथा सदियों से चली आ रही अखंडता का प्रमाण है।  


अहिंसा का पाठ, शांति का संदेश  
दयावान भगवान वाल्मीकि जी ने पूरी दुनिया को सर्वप्रथम अहिंसा का पाठ पढ़ाया तथा शांति का संदेश दिया। वह किसी का भी दुख नहीं देख सकते थे। एक दिन वह जब नित्य की तरह तमसा नदी पर स्नान कर रहे थे तो पास ही क्रौंच पक्षियों का एक जोड़ा जो कभी भी एक-दूसरे से अलग नहीं होता था, विचरण कर रहा था।

तभी निषाद ने उस जोड़े में से एक नर पक्षी का बाण से वध कर दिया। यह देख कर ऋषि जी का हृदय बहुत दुखी हुआ और उन्होंने निषाद से कहा,‘‘यह अधर्म हुआ है। निषाद तुम्हें नित्य निरन्तर कभी भी शांति न मिले क्योंकि तुमने बिना किसी अपराध के इसकी हत्या की है।’’  

ऐसा कह जब उन्होंने इस कथन पर विचार किया तब उनके मन में बड़ी चिंता हुई। अंतत: उनके मन में विचार उत्पन्न हुआ कि मैं ऐसे ही श्लोकों में रामायण काव्य की रचना करूं।


कुश और लव का जन्म और शिक्षा
भगवान वाल्मीकि जी के आश्रम में ही सीता जी को दो पुत्र रत्न प्राप्त हुए। भगवान वाल्मीकि जी ने उन्हें सीता जी के चरित्र से युक्त सम्पूर्ण रामायण का अध्ययन करवाया और इसके साथ-साथ संगीत तथा अस्त्र-शस्त्र की भी शिक्षा दी।

मानव जीवन के उच्च नैतिक मूल्यों का भंडार श्रीमद् वाल्मीकि रामायण विश्व का एकमात्र ऐसा महाग्रंथ है जिसमें मानव जीवन के प्रभावशाली आदर्श मिलते हैं, इस महाकाव्य में सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक क्षेत्र के समूह सम्बन्धों का आदर्श रूप दर्शाया गया है। भगवान वाल्मीकि जी ने श्री राम कथा के माध्यम से पूरी मानव जाति को आलोकित किया है।

समाज और राष्ट्र को उन्नत बनाने के लिए व्यक्ति का चरित्र विशेष महत्व रखता है। चरित्र के निर्माण के लिए परिवार के महान योगदान को इसमें स्वीकार किया है।

परिवार एक ऐसा शिक्षा केन्द्र है जहां व्यक्ति स्नेह, सौहार्द, गुरुजनों के प्रति श्रद्धा, आस्था एवं समाज के सामूहिक कल्याण के लिए व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के त्याग की शिक्षा पाता है तथा इसमें पारिवारिक जीवन के प्राचीन आदर्श को सुरक्षित रखा गया है।


परम बुद्धिमान एवं महाज्ञानी भगवान वाल्मीकि जी के अनुसार, संसार का मूल आधार ज्ञान ही है। अर्थात शिक्षा के बिना मानव जीवन व्यर्थ एवं अर्थहीन ही है क्योंकि जिंदगी की भूल-भुलैयां के चक्रव्यूह से शिक्षित व्यक्ति का ही बाहर निकलना संभव तथा आसान होता है।

इनकी शिक्षाओं में अस्त्र-शस्त्र, ज्ञान-विज्ञान, राजनीति तथा संगीत के अलावा आदर्श राजा, आदर्श माता-पिता, आदर्श पति, आदर्श पत्नी, आदर्श भ्राता, आदर्श स्वामी, आदर्श सेवक, आदर्श प्रजा ही नहीं, आदर्श शत्रु का भी वर्णन मिलता है।

आज भी इनकी शिक्षाएं पूरी दुनिया को मानवता, प्रेम, शांति और सहनशीलता का संदेश देती हैं तथा हिंसा, युद्ध और शत्रुता से होने वाले भयंकर विनाश के परिणाम से बचने का संकेत कर रही हैं।

 

 

 

Niyati Bhandari

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