Vallabhacharya Jayanti 2021: श्रीनाथ से है वल्लभाचार्य का गहरा रिश्ता, जानिए कैसे?

Thursday, May 06, 2021 - 04:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को वरुथिनी एकादशी के साथ-साथ वल्लभाचार्य जयंती का भी पर्व मनाया जाता है। इस बार बकरे की 542वीं जन्म वर्षगांठ 7 मई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि वल्लभाचार्य एक दार्शनिक व पुष्य संप्रदाय के संस्थापक थे। तो वही लोक मत यह भी है कि इन्हें श्रीनाथ के रूप में भगवान श्री कृष्ण से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था तो कुछ अन्य के दंतिया यह है कि ये अग्नि देवता का पुनर्जन्म हैं। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और शुभ मुहूर्त-

श्री वल्लभ आचार्य जयंती की तिथि और मुहूर्त-
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 07 मई 2021 दिन शुक्रवार
एकादशी तिथि आंरभ- 06 मई 2021 दिन गुरुवार दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 07 मई 2021 दिन शुक्रवार दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक

वल्लभ आचार्य जयंती का महत्व
बताया जाता है कि वल्लभाचार्य जयंती का पर्व वल्लभाचार्य में मारने वाले लोगों के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के द्वारा भी हर वर्ष बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग खासतौर पर श्रीनाथजी के मंदिर में जाकर विशेष रूप से उनकी पूजा अर्चना करते हैं। मुख्य तौर पर यह पर्व तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, चेन्नई तथा महाराष्ट्र आदि में रहने वाले लोगों के लिए खास है। उपरोक्त तिथि के अनुसार भी श्री वल्लभाचार्य जी के द्वारा ही भगवान श्री कृष्ण को श्रीनाथ के रूप में पूछना प्रस्तुत किया गया था जिस कारण श्रीनाथजी के मंदिर में इस दिन को उत्साह के साथ एक बहुत बड़े पर्व के रूप में बरसों से मनाया जा रहा है।

वल्लभ या पुष्य संप्रदाय की स्थापना
बतादें वल्लभ संप्रदाय वैष्णव संप्रदाय के अंतर्गत आता है। इस संप्रदाय की स्थापना 16वीं शताब्दी में अचार्य वल्लभ द्वारा ही की गई थी। इस खास 52 दिन श्रीनाथजी के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के बाद इसे अन्य लोगों में वितरित करते हैं। क्योंकि यह पर्व हर साल एकादशी तिथि को पड़ता है, इसलिए इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है।

Jyoti

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