Vakratunda Sankashti Chaturthi: करवाचौथ का चांद देखने के बाद न करें ये भूल, गणेश जी हो जाएंगे नाराज !

punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 07:41 AM (IST)

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Vakratunda Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में 10 अक्टूबर शुक्रवार को दो पवित्र पर्व करवाचौथ और वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन पड़ रहे हैं। यह अत्यंत शुभ योग है क्योंकि दोनों व्रत पति-पत्नी के सौभाग्य, दीर्घायु और संकट-निवारण से जुड़े हैं। करवाचौथ व्रत में विवाहित महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर भक्त भगवान गणेश की पूजा कर जीवन से संकटों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। करवाचौथ व्रत से नारी को सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान गणेश की कृपा से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है।

Vakratunda Sankashti Chaturthi

Vakratunda Sankashti Chaturthi religious significance and auspicious results वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी धार्मिक महत्व और शुभ फल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ये दोनों पर्व एक साथ आते हैं, तो इसका फल दोगुना शुभ माना जाता है। इस दिन उपवास और पूजा से न केवल पति-पत्नी के संबंध मजबूत होते हैं, बल्कि संतान, धन और आरोग्य का वरदान भी प्राप्त होता है। करवाचौथ की रात चंद्रोदय के समय महिलाएं पति के हाथ से जल ग्रहण करती हैं और संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा को गणेश मंत्र के साथ अर्घ्य देने से सभी दुख समाप्त होते हैं।

Vakratunda Sankashti Chaturthi

Story of Vakratunda Sankashti Chaturthi and Karva Chauth वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ की कथा
करवा का मतलब होता है ‘कलंकित’। करवा एक भिलनी थी। श्री गणेश महाराज सबके कष्टों को हरने वाले हैं। श्री गणेश की कृपा दृष्टि के बाद ही उस भिलनी को श्राप से मुक्ति मिल पाई थी। बताया जाता है कि करवा हर चतुर्थी को श्री गणेश महाराज की पूजा करती थी। उसने गणेश महाराज से विनिम्र प्रार्थना करते हुए कहा कि मुझे ये श्राप कैसे लगा और कैसे इससे मुक्ति मिल पाएगी।

Vakratunda Sankashti Chaturthi

श्री गणेश महाराज ने बतलाया कि व्रत करने के बाद अपने पति को पहले भोजन दिए बिना ही तूने भोजन कर लिया। इससे तुझे यह श्राप लगा है। इसी के चलते तेरा पति भी कुष्ठ रोग से पीड़ित है। अगर इस दोष से मुक्ति पाना चाहती है तो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूजन कर व्रत रखना होगा और अपने पति का पूजन करना होगा। तभी तू इस दोष से मुक्ति पा सकती है और तुम्हारे पति भी स्वस्थ हो जाएंगे। 

करवा ने श्री गणेश महाराज के द्वारा बताए तरीके से व्रत किया। इससे भगवान श्री गणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने करवा को दोष मुक्त कर दिया। साथ ही आशीर्वाद दिया कि भविष्य में जो सुहागिन मेरी पूजा करने से पहले तुम्हारी उपासना करेगी उसके सुहाग की मैं रक्षा करुंगा। तभी से ही यह परंपरा चलती आ रही है।
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Vakratunda Sankashti Chaturthi puja vidhi वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके गणेशजी और माता पार्वती की पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
रात को चंद्रोदय के समय अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

Vakratunda Sankashti Chaturthi

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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