Vaishakh Amavasya 2020: कोरोना को देनी है मात तो आज ये करना न भूलें

Wednesday, Apr 22, 2020 - 06:32 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vaishakh Amavasya 2020: आज वैशाख माह की अमावस्या है। इसे पितृ अमावस्या भी कहते हैं। अत: इस रोज़ पितृ पूजा का बहुत महत्व है। ये श्री हरि के प्रिय महीनों में से एक माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों के जल से स्नान और दान करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।

वैशाख अमावस्या का आरंभ रेवती नक्षत्र में होगा। इस नक्षत्र के स्वामी बुध देव हैं और आज बुधवार होने से इस तिथि का महत्व बढ़ जाता है। अन्य ग्रहों की बात करें तो मीन राशि में बुध और चंद्रमा की युति बन रही है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है आज की तिथि पर पितृ शांति और रोगों के नाश करने हेतु लिए किए गए दान एवं पूजा से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य लाभ प्राप्त होंगे।

जैसे आजकल कोरोना का कहर हर तरफ अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है, उससे बचने के लिए तो ये उपाय आज अवश्य करने चाहिए-
लॉकडाउन के कारण किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर ही स्नान करने के पानी में किसी नदी का पवित्र जल और थोड़े से तिल मिला लें।

 7 पवित्र नदियों, गंगा, युमना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी को मानसिक रुप से प्रणाम करें। मान्यता है की जब व्यक्ति किसी भी तरह के संकट में फंसा हो तो वे इस तरह स्नान करने से तीर्थ स्नान का पुण्य फल प्राप्त करता है।

घर में किसी प्रकार की बाहरी बाधा न आए, इसके लिए आप पुराना फटा जूता घर में किसी कोने में लटका दें। नया घर बना रहे हों तो काली हांडी अवश्य लटका दें। किराए का मकान हो तो खिड़कियों की सलाखों या चिटकनियों पर काला धागा बांध दें। ऐसा करने से ऊपरी बाधा का कभी प्रकोप नहीं होगा।

अमावस्या का समय
आज 22 अप्रैल की प्रात: लगभग 5:25 से वैशाख मास की अमावस्या तिथि शुरु हो गई है। जो 23 अप्रैल, बृहस्पतिवार की सुबह लगभग 8 बजे तक रहने वाली है। वैसे तो आज बुधवार को ही स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ किया जाना चाहिए लेकिन पंचांग भेद और अपनी-अपनी विभिन्न मान्यताओं के अनुसार बहुत से स्थानों पर ये पर्व कल भी मनाया जाएगा।  

 

 

 

Niyati Bhandari

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