Vaishakh amavasya 2020: पीपल के नीचे बैठकर करें ये काम, फिर देखें कमाल
Tuesday, Apr 21, 2020 - 07:05 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बुधवार, 22 अप्रैल, 2020 को वैसाख महीने के कृष्ण अमावस्या तिथि है, यूं तो प्रत्येक वर्ष में आने वाली समस्त अमावस्य तिथियों का खास महत्व है। परंतु अगर बात विष्णु प्रिय वैसाख माह की हो तो इसका सबसे अधिक महत्व है। कहा जाता है इस एक दिन में इंसान एक ही बार में अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस तिथि वाले दिन विभिन्न उपाय, तांत्रिक उपाय तथा टोटके आदि करने से भी बहुत लाभ प्राप्त होता है।
बल्कि इतना ही नहीं इन उपायों को करने से व्यक्ति की विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। अब यकीनन आप ये समझ गए होंगे कि हम आपको इसी कड़ी में कुछ खास उपाय बताने वाले हैं। जिन्हें करने से आपकी किस्मत चमक सकती है।
बता दें ये उपाय पीपल से जुड़े हैं क्योंकि कहा जाता है कि अमावस्या तिथि पर पीपल की पूजा करने से बहुत तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। मगर बहुत से लोग हैं जिन्हें ये नहीं पता कि इसकी पूजा करना कैसे चाहिए। तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि वैसाख अमावस्या पर पीपल की किस तरह से की गई पूजा आपको लाभ प्राप्त हो सकता है।
इस दिन सूर्योदय के कुछ समय पूर्व एवं सूर्यास्त के तुरंत बाद अपनी इच्छा पूर्ति की कामना से दोनों ही समय पीपल वृक्ष के पास जाकर सरसों के तेल का एक दीपक व सुंगंधित धुप जलाएं। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प से पूजन कर शक्कर मिला मीठा जल एक लोटा चढ़ाएं।
फिर जल चढ़ाने के बाद थोड़ा सा शक्कर या गुड़ का प्रसाद पीपल की जल में चढ़ा दें। अब पीपल पेड़ की 11 परिक्रमा पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त हो इस भाव से करें। ऐसी मान्यता है कुछ ही समय में इसका शुभ परिणाम आपको दिखने लगेगा।
पीपल की पूजा के लाभ-
कहा जाता है कि पीपल की रोज़ाना पूजा से अपार सुख समृद्धि की प्राप्ति व धन वैभव की प्राप्ति होती है।
तो वहीं नियमित पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने के बाद श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है।
जो जातक पीपल के वृक्ष के नीचे मीठा जल चढ़ाने के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर 7 परिक्रमा करते हैं उनकी हर इच्छा पूरी होती है।
मान्यता है कि खासतौर पर वैसाख अमावस्या की पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पंच मेवा (पांच प्रकार की मिठाई) अर्पित करने से पितृ दोष में मुक्ति मिलती है।