इसलिए भगवान विष्णु को प्यारा है वैशाख का महीना

Sunday, May 05, 2019 - 03:09 PM (IST)

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वैशाख के समान मास नहीं, ‘सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान शास्त्र और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तीज (अक्षय तृतीया) के दिन लक्ष्मी स्थायी रूप से प्रसन्न कर अखंड लक्ष्मी भाग्योदय प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं। श्री यंत्र, लक्ष्मी यंत्र, पीली कौड़ी, गोमती चक्र, शंक, सियार सिंगी, एकाक्षी श्री फल आदि पर अनेक प्रयोग हैं जो इस मास में संपन्न कर पुण्य कमा सकते हैं।

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। वैशाख मास में गंगा स्नान करने से पाप व रोग भस्म हो जाते हैं। पाप तभी तक गरजते हैं, जब तक प्राणी वैशाख मास में ब्रह्म मुहूर्त जल में स्नान नहीं करता।

जो मनुष्य वैशाख मास में मार्ग के यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णु लोक में प्रतिष्ठित होता है। वैशाख मास में पक्षियों के लिए चुग्गा पानी का प्रबंध तथा ठंडा जल पिलाने मात्र से यज्ञ फल प्राप्त होता है जो विष्णु प्रिय वैशाख मास में श्रेष्ठ द्विज को कूलर, फ्रिज, वस्त्र, सोना, अन्नदान, गौदान करता है। वह सब पापों का नाश करके ब्रह्मलोक को जाता है।

विष्णु प्रिय वैशाख मास में पादुका, आम, तरबूजा, खरबूजा दान करता है। वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णु लोक में जाता है जो अनाथों के ठहरने के लिए धर्मशाला, अनाथालय, गौशाला बनवाता है। वह सब पापों से मुक्त हो विष्णु लोक जाता है। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण अतिथि को पंचमेवा केसर युक्त खीर खिलाकर भूमिदान, गौदान  करके संतुष्ट करने से ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की कृपा का पात्र बनता है।

वैशाख मास में निषेध कार्य
वैशाख में तेल लगाना, दिन में सोना, खाट पर सोना, निषिद्ध पदार्थ खाना, मांस-मदिरा-पर स्त्री का सेवन करना, कांस्य पात्र में रात को भोजन करना ये बातें त्याग देनी चाहिएं। वैशाख मास के देवता जगत के पालनहार भगवान विष्णु देवेश्वर मधुसूदन हैं। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा व यमुना-गंगा में स्नान का विशेष महत्व ही वैशाख मास में पूजा-पाठ, व्रत-दान पुण्य व विष्णु पूजा से सब मनोरथ पूर्ण होते हैं।

-पं. अशोक प्रेमी बंसरीवाला
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Jyoti

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