बैकुंठ चतुर्दशी: इस मुहूर्त में करें पूजा, होगी बैकुंठ लोक की प्राप्ति

Friday, Nov 24, 2023 - 08:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vaikuntha Chaturdashi: कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वयं श्रीहरि ने वाराणसी में स्नान करके पाशुपत व्रत करके विश्वेश्वर की पूजा अर्चना की थी। तभी से इस दिन को 'काशी विश्वनाथ स्थापना दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विधि पूर्वक जो विष्णु व शिव की पूजा करता है उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।



Vaikunth Chaturdashi shubh muhurat: बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 25 नवंबर शनिवार को 5:22 पी.एम से होगा और समापन 26 नवंबर की शाम 3:53 पी.एम पर होगा। शास्त्रों के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा निशिता काल में की जाती है। चतुर्दशी तिथि में निशिता काल का मुहूर्त 26 नवंबर को रहेगा। ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 26 नवंबर को मनाया जाएगा।

वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल - 11:43 पी.एम से लेकर 12:37 ए. एम तक रहेगा।



Vaikuntha Chaturdashi puja method बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि: घर की उत्तर-पूर्व दिशा में हरा कपड़ा बिछाकर उस पर कांसे के लोटे में जल, दूध, सिक्के, दूर्वा, सुपारी व पीपल के पत्ते पर नारियल रखकर हरिहर कलश स्थापित करें। साथ में महादेव व विष्णु का चित्र स्थापित करके विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। कांसे के दीए में गाय के घी का दीपक करें, चंदन की धूप करें, विष्णु पर गोलोचन व महेश्वर पर चंदन से तिलक करें। कमल का फूल चढ़ाएं, मखाने की खीर का भोग लगाएं तथा जल, इत्र, शक्कर, दही से अभिषेक करें। इन विशेष मंत्रों की 1-1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग गाय को खिला दें।

Harihar puja mantra हरिहर पूजन मंत्र: ह्रीं हरिहर नमः॥
Shiva worship mantra शिव पूजन मंत्र: ह्रीं ॐ हरिणाक्षाय नमः शिवाय॥
Vishnu worship mantra विष्णु पूजन मंत्र: ॐ पद्मनाभाय नमः॥

Niyati Bhandari

Advertising