यहां हुआ था भगवान शिव अौर देवी पार्वती का विवाह, आज भी मौजूद हैं निशानियां

Saturday, Jul 15, 2017 - 11:16 AM (IST)

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ‘त्रियुगी नारायण’ एक पवित्र जगह है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव अौर देवी पार्वती का विवाह हुआ था। यहीं भगवान विष्णु अौर देवी लक्ष्मी का एक मंदिर है, जिसे शिव पार्वती के विवाह स्थल के रुप में जाना जाता है। मंदिर परिसर में ऐसी कई चीजें हैं, जिनका संबंध शिव-पार्वती के विवाह से माना जाता है। 

मंदिर परिसर में अखंड धुनी है, भगवान शिव अौर माता पार्वती ने इसी कुंड के फेरे लिए थे। इस हवन कुंड में आज भी अग्नि प्रज्वलित रहती है। मंदिर में प्रसादस्वरूप लकड़ियां चढ़ाई जाती है। भक्त इस पवित्र हवन कुंड की राख अपने घर लेकर जाते हैं। 

यह वह स्थान है जहां भगवान शिव अौर माता पार्वती विवाह के समय बैठे थे। इसी स्थान पर बैठकर भगवान ब्रह्मा ने भोलेनाथ अौर देवी पार्वती का विवाह करवाया था। 

भगवान शिव अौर देवी पार्वती का विवाह ब्रह्मा जी ने करवाया था। ब्रह्मा जी ने विवाह में शामिल हेने से पहले जिस कुंड में स्नान किया था, उसे ब्रह्मकुंड के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले भक्त इस कुंड में स्नान करके ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

जब भोलेनाथ का विवाह हुआ तो उन्हें एक गाय दान स्वरूप मिली थी। माना जाता है कि यहीं वह स्तंभ है, जहां गाय को बांधा गया था। 

भोलेनाथ अौर देवी पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। जिस कुंड में स्नान करके भगवान विष्णु विवाह संस्कार में शामिल हुए थे, उसे विष्णु कुंड कहा जाता है। 

भोलेनाथ के विवाह में भाग लेने आए सभी देवी-देवताअों ने जिस कुंड में स्नान किया उसे रुद्र कुंड कहा जाता है। इन सभी कुंडों में जल का स्त्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है। 
 

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