आगामी चंद्र ग्रहण चीन व पाकिस्तान के लिए अशुभ

Thursday, Aug 03, 2017 - 10:02 AM (IST)

7 अगस्त, 2017 पूर्णिमा सोमवार रात्रि 10.52 से 12.48 तक मकर राशि पर चंद्र ग्रहण लगेगा। जो कि चीन और पाकिस्तान की तबाही का कारण बनेगा और इस ग्रहण के प्रभाव से 60 दिनों के अंदर-अंदर चीन व पाकिस्तान में भूकंप एवं राजनीतिक झटके उत्पन्न होंगे तथा युद्ध के बादल मंडराएंगे। 


इस ग्रहण का चमत्कारिक प्रभाव भारत और भारत की सेना के हित में साबित होगा। पंडित अशोक प्रेमी बंसरीवाला के ज्योतिष विश्लेषण के अनुसार 7 अगस्त, 2017 और 2018 में चीन व पाकिस्तान से भारत को संकटों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा तथा आक्रमण का भय रहेगा। भारत को पड़ोसी देशों से विश्वासघात एवं सीमाओं पर आक्रमण होने के कारण भारतीय फौज को पूर्ण चाक-चौबंद के साथ तैयार रहना चाहिए। भारत-चीन और पाक सीमा पर गोलाबारी होगी। गुप्तचरों से भी विदेश नीति को बहुत चुनौती मिलेगी। पड़ोसी देशों की युद्ध थोपने की तमन्ना है। 


पाकिस्तान की कुंडली में चौथे घर में 5 ग्रहों का जमावड़ा (सूर्य, शनि, शुक्र, बुध, चंद्रमा) होने के कारण पाकिस्तान न खुद शांत रहेगा और न पड़ोसी को शांत रहने देगा। पाकिस्तान की कुंडली में कालसर्प योग अधिक पीड़ादायक होने के कारण संघर्ष एवं धन की हानि होगी और भारत के लिए सिरदर्द बना रहेगा। वहीं चीन कुंडली में मकर लग्न और सप्तम स्थान में नीच का मंगल होने के कारण अपनी षड्यंत्रकारी कुचालों से भारत को नुक्सान पहुंचाने एवं आक्रमण की तैयारी में लगा रहेगा और अंत में निर्णायक जंग करके ही दम लेगा। 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भारतवर्ष, चीन एवं पाकिस्तान की कुंडलियों का विवेचन करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि चीन-पाक के खिलाफ निर्णायक जंग लडऩी ही होगी क्योंकि भारत की कुंडली में तीसरे घर में 5 ग्रहों (सूर्य, बुध, शुक्र, शनि एवं चंद्रमा) की युति एवं कालसर्प दोष के कारण भारत को पड़ोसी राज्यों से विश्वासघात का सामना करना पड़ेगा क्योंकि तीसरा घर साहस एवं पड़ोसी का भी होता है।


भारत की कुंडली में 5 ग्रहों के योग के कारण संतुलन में कमी रहती है अत: पड़ोसी देशों से विवाद होते रहेंगे तथा कुंडली में केतु सप्तम भाव में होने के कारण मेदनी ज्योतिष के अनुसार यह अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद भी दे सकता है। 


पाकिस्तान की जमीन पर भारत के विरुद्ध साजिशें पहले की ही तरह रची जा रही हैं। चीन-पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर अमरीका आंखें तरेरता है लेकिन उसे हर तरह की सहायता देने से भी बाज नहीं आ रहा है। ‘आतंकवाद के खिलाफ अमरीका-भारत साथ-साथ हैं’ का जुमला बार-बार दोहराया जाता है लेकिन परिणाम अब तक शून्य ही रहे हैं।
 

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