INTELLIGENT संतान के लिए गर्भावस्था में करें ये उपाय

Saturday, Jun 02, 2018 - 03:01 PM (IST)

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नौ मास गर्भ में बच्चा रहता है उसी समय में करें स्वस्थ संतान के लिए उपाय। गर्भ में  बच्चा नौ महीने ही क्यों रहता है? इसका एक वैज्ञानिक आधार है तथा हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे ब्रह्मांड के नौ ग्रह हैं, जिनमें दो छाया ग्रह हैं और हर ग्रह अपनी-अपनी किरणों से गर्भ में पल रहे बच्चे को विकसित करता है। हर ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के अंगों को विकसित करने में अपनी भूमिका निभाता है। अगर कोई ग्रह गर्भ में पल रहे बच्चे के समय कमजोर, शत्रु राशि में होता है तो उस समय में उपाय से उसको ठीक किया जा सकता है।


गर्भावस्था के प्रथम माह तक शुक्र का प्रभाव रहता है। अगर उस समय में शुक्र ब्रह्मांड में कमज़ोर या वक्री हो तो शुक्र को मजबूत करना चाहिए। यदि शुक्र मजबूत होगा तो बच्चा बहुत सुंदर होगा परन्तु ऐसी स्थिति में शुक्र का दान न करें, अगर दान किया तो शुक्र कमज़ोर हो जाएगा क्योंकि दान सिर्फ उसी ग्रह का करें जो पापी और क्रूर हो और उसके कारण गर्भपात का खतरा हो।


दूसरे महीने मंगल का प्रभाव रहता है, मंगल को मजबूत करें तथा लाल वस्त्र धारण करें।


तीसरे मास में गुरु का प्रभाव रहता है, ऐसे समय में गुरु से संबंधित उपाय करें व पीले वस्त्र ज्यादा धारण करें। 


चौथे महीने सूर्य का प्रभाव रहता है। पांचवें महीने में चंद्र का प्रभाव रहता है तथा चंद्रमा माता व मन का कारक है। अत: चंद्रमा को बल देने के लिए उपाय करें क्योंकि प्राणी जीवन में चंद्रमा हर कार्य से संबंधित होता है। 


छठे मास में शनि देव अपना प्रभाव रखते हैं। सातवें मास में बुध प्रभावित करता है। अत: बुध ग्रह का उपाय करने से बुध को बल दें क्योंकि यह ग्रह बुद्धि का कारक है। आठवें माह में फिर चंद्रमा का और अंतिम माह को सूर्य प्रभावित करता है। इस दौरान अगर कोई ग्रह नीच राशि गत भ्रमण कर रहा है तो उसका पूरे महीने जप, तप व यज्ञ करने से उस ग्रह की अशुभता में न्यूनता आती है।


मां का गर्भ ग्रहों की किरणों से जितना तपेगा बच्चा उतना ही मजबूत, महान और मेधावी होगा। जैसे महाभारत काल में गांधारी की आंखों की किरणों के तेज से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो गया था।
ऐसे पैदा हुई थी गांधारी की 101 संतानें
 

Niyati Bhandari

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