सही समय पर समझिए ईश्वर के इशारे वर्ना झेलना पड़ सकता है नुक्सान

Friday, May 26, 2017 - 03:44 PM (IST)

किसी गांव में एक भक्त रहते थे। लोगों का मानना था कि उन्हें ईश्वर ने दर्शन दिए हैं इसलिए गांव में उनकी बड़ी मान्यता थी। एक दिन गांव में बाढ़ आई। भक्त के चाहने वाले उन्हें बचाकर अपने साथ ले जाने के लिए उनके पास पहुंचे और कहा, ‘‘आप भी हमारे साथ गांव छोड़ दें।’’ 

अब भक्त के मन में विचार आया कि अगर वह गांव छोड़ेंगे तो उसका मतलब है उन्हें अपने ईश्वर पर भरोसा नहीं रहा अत: उन्होंने अपने मानने वालों को उत्तर दिया, ‘‘हमारी रक्षा ऊपर वाला करने वाला है, आप जाओ।’’ 

बाढ़ का पानी बढ़ता गया तब फिर कुछ लोग नाव लेकर उन्हें बचाने पहुंचे और कहा, ‘‘हम आपको लेने आए हैं।’’ भक्त ने फिर दोहराया, ‘‘हमें बचाने वाला ऊपर वाला है, आप जाइए।’’ 

जब भक्त के धार्मिक स्थान में पानी प्रवेश कर गया और वह डूबने लगे तब रक्षा की दृष्टि से आए हैलीकॉप्टर ने उन तक रस्सी फैंकी। ईश्वर के अंधविश्वास में डूबे भक्त ने एक ही बात कही, ‘‘हमें ऊपर वाले पर भरोसा है, मैं उसका नुमाइंदा हूं, वह हमारी रक्षा करेगा।’’ 

पानी ऊपर चढ़ गया और भक्त की मृत्यु हो गई। ऊपर पहुंचने पर जब वह ईश्वर से मिले तो बोले, ‘‘मैं तो आपके भरोसे बैठा था, फिर भी मुझे इस तरह मरना पड़ा।’’ 

तब ईश्वर ने उनसे कहा, ‘‘मैं तो मदद करने आया था लेकिन तुमने मेरे संकेतों को नहीं समझा।’’ इतना सुनते ही भक्त चौंक गए। 

ईश्वर बोले, ‘‘मैं तुम्हें बचाने नाव लेकर आया। फिर मैं हैलीकॉप्टर लेकर आया, पर तुम खुद के अंधविश्वासों में उलझते रहे। तुम खुद कुछ नहीं करना चाहते थे और केवल मुझ पर टिक गए। मैं कई रूपों में तुम्हारे प्राण बचाने आया, पर तुमने मुझे पहचाना ही नहीं।’’ यह सुनकर भक्त की समझ में आया कि अध्यात्म की दुनिया और ईश्वर का संसार समानता व संकेतों से चलता है।

Advertising