क्या आप जानते हैं उनाकोटि के बारे में?

punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2019 - 04:06 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में ऐसी बहुत सी कथाएं जुड़ी जिनका वर्णन आज भी किया जाता है। लेकिन उन्हीं में से कुछ ऐसी कथाएं भी शामिल हैं, जिनके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। आज हम आपको उन्हीं में से एक ऐसी कथा के साथ रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि कैसे शिव और बाकी सब देवी-देवता पत्थर की मूर्त बन गए। त्रिपुरा में आज भी उनाकोटि नाम की जगह पर सभी देवी देवताओं की पत्थर से बनी मूर्ति मौजूद है। उनाकोटि का अर्थ होता है एक करोड़ में एक कम। 
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दन्त कथा के अनुसार उनाकोटि में शिव की एक कोटि से एक कम मूर्तियां है। जो दस किलोमीटर से ज्यादा इलाके में फैली हुई है। यहां भगवान शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है। और उनकी जटाएं दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में यह शिव की सबसे बड़ी मूर्ति है। कल्लू कुम्हार को इन मूर्तियों का निर्माता माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार कल्लू कुम्हार माता पार्वती का परम भक्त था। वो पूरे दिन माता पार्वती की पूजा किया करता था। माता पार्वती को प्रसन्न कर वह उनके और भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। काफी समय बाद माता पार्वती ने शिवजी से कल्लू को कैलाश पर्वत पर लाने को कहा। माता पार्वती के समक्ष भगवान शिव तो कल्लू को लाने को तैयार हो गए। लेकिन कल्लू के सामने शर्त यह रखी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटि मूर्तियां बनानी होगी। कल्लू भगवान शिव की आज्ञा पाते ही मूर्ति बनाने में जुट गया। पूरी रात वह मूर्ति बनाने में लगा रहा। लेकिन जब सुबह हुई तो मूर्तियां एक कोटि से एक कम निकली। 
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तभी कल्लू के जाने से पहले भगवान ने उसे वरदान दिया कि कलयुग में सभी लोग तुम्हें इन मूर्तियों के निर्माता के रूप में याद करेंगे।
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