Tulsi Vivah Mantra: तुलसी विवाह में इस आरती और मंत्र का करें जाप, जो बदल देंगे आपके जीवन की दिशा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 21, 2025 - 06:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Tulsi Vivah Mantra: सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत खास महत्व है। यह शुभ पर्व देवउठनी एकादशी के बाद मनाया जाता है और इसे धरती पर भगवान विष्णु और देवी तुलसी के पवित्र मिलन का दिन कहा जाता है। इस दिन से ही विवाह का शुभ समय यानी शादी का सीजन भी आरंभ हो जाता है।माना जाता है कि तुलसी विवाह में विधिवत पूजा, आरती और मंत्रोच्चारण करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। साथ ही यह पूजा न केवल वैवाहिक जीवन को सुखद बनाती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में नई सकारात्मक दिशा भी देती है। तो आइए जानते हैं तुलसी विवाह के दिन कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए।

PunjabKesari Tulsi Vivah Mantra

Tulsi Vivah Mantra तुलसी विवाह मंत्र

तुलसी माता का स्तुति मंत्र-

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

मां तुलसी का पूजन मंत्र-

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी माता का ध्यान मंत्र-

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

PunjabKesari Tulsi Vivah Mantra

श्री तुलसी स्तोत्रम्‌-

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।

यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।

नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।

कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।

यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥४॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।

या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ ।

कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।

यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥७॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।

आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥८॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।

अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥९॥

PunjabKesari Tulsi Vivah Mantra

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।

पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥१०॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।

विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥११॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥२॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।

षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥१३॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।

तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥१४॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।

नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥१५॥

॥ श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

PunjabKesari Tulsi Vivah Mantra


 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Sarita Thapa

Related News