Tulsi Vivah: आप भी कर रहे हैं घर में तुलसी और शालिग्राम का विवाह, शुभ लाभ के लिए इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान
punjabkesari.in Monday, Nov 11, 2024 - 01:05 AM (IST)
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Tulsi shaligram Vivah 2024: तुलसी और शालिग्राम का विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और शुभ आयोजन माना जाता है। यह विशेष रूप से कार्तिक माह में किया जाता है और इसका उद्देश्य घर में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाना होता है। इसे विशेष रूप से "तुलसी विवाह" या "तुलसी-शालिग्राम विवाह" कहा जाता है, जो एक रूपक होता है, जिसमें तुलसी के पौधे और शालिग्राम शिला का विवाह कराया जाता है। इस विवाह से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कई वास्तु नियमों का पालन करने से यह विवाह अधिक फलदायी होता है।
According to Vastu Shalagram marriage, the following rules should be kept in mind वास्तु के अनुसार, तुलसी और शालिग्राम के विवाह में निम्नलिखित नियमों का ध्यान रखना चाहिए:
स्थान का चयन (Placement of Tulsi and Shaligram)
तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में लगाना चाहिए। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।
शालिग्राम की पूजा के लिए पूजा कक्ष या घर का कोई साफ-सुथरा स्थान उपयुक्त होता है। इसे भी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा होता है क्योंकि यह दिशा आध्यात्मिक उर्जा का प्रवाह बढ़ाती है।
तुलसी की सुंदरता और स्वास्थ्य (Condition of the Tulsi Plant)
तुलसी का पौधा स्वस्थ और हरा-भरा होना चाहिए। यदि पौधा मुरझाया हुआ या रोगग्रस्त हो तो इसे ठीक करके ही पूजा करनी चाहिए।
तुलसी का पौधा नम जमीन पर होना चाहिए, यानी उसकी जड़ें गहरी और मजबूत हों। इसे किसी भी प्रकार की ऊंची या सूखी जगह पर न रखें।
पूजा का समय (Timing of the Ceremony)
कार्तिक माह में विशेष रूप से तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। पूजा का समय सुबह का होना चाहिए और पूजा सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के बाद की जानी चाहिए क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।
पूजा का स्थान (Place for the Ceremony)
तुलसी और शालिग्राम की पूजा करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां द्रव्य, फूल, दीपक, फल और पानी रखें।
पूजा स्थल पर वास्तु के अनुसार कोई भी नकारात्मक वस्तु जैसे टूटी-फूटी मूर्तियां, पुराने बर्तन, या अव्यवस्थित सामान नहीं होना चाहिए।
मुख्य पूजा सामग्री (Items for the Ritual)
पवित्र जल, कपूर, दीपक, घी का दीपक और तुलसी के पत्ते पूजा में अवश्य शामिल करें।
शालिग्राम की पूजा करते समय इसे पीतल या चांदी के पात्र में रखें और हर पूजा के बाद उसे अच्छी तरह से साफ करके वापस सुरक्षित स्थान पर रखें।
पूजा के दौरान गंगाजल का छिड़काव करना भी शुभ माना जाता है।
शालिग्राम का स्थान (Placement of Shaligram)
शालिग्राम की मूर्ति को स्वच्छ स्थान पर रखें और स्वच्छ कपड़े से ढककर रखें। इसे किसी भी प्रकार की धूल या गंदगी से बचाकर रखें।
शालिग्राम को रखने का स्थान उत्तर-पश्चिम (नैऋत्य दिशा) या उत्तर-पूर्व दिशा में अच्छा रहता है। इसे कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है।
विवाह का संकल्प (Marriage Vow)
तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने से पहले संकल्प लें कि आप इस समारोह को श्रद्धा और विश्वास के साथ करेंगे। एकम और सत्य की भावना को ध्यान में रखते हुए इस पूजा को अदा करें, ताकि घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।
अन्न, जल और पकवान (Offerings)
विवाह के बाद तुलसी माता और शालिग्राम को अन्न, फल, जल और मीठे पकवान अर्पित करें। यह एक रूपक है कि आप दोनों को आशीर्वाद देने के लिए अन्न का भंडारण किया जा रहा है। पानी से अर्घ्य देना शुभ माना जाता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
शुद्ध वातावरण (Pure Environment)
यह सुनिश्चित करें कि पूजा स्थल का वातावरण शुद्ध और नियंत्रित हो। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था और गंदगी से बचें। घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए पूजा स्थल को व्यवस्थित और शांतिपूर्ण रखें।
ध्यान और मनन (Meditation and Reflection)
पूजा के बाद कुछ समय ध्यान लगाना या प्रार्थना करना भी शुभ होता है। इससे आपकी मानसिक शांति और सकारात्मकता बढ़ेगी।
तुलसी और शालिग्राम के विवाह से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है। वास्तु के ये नियम पालन करके आप इस पूजा को और भी प्रभावी बना सकते हैं और इसके फल का लाभ अधिक पा सकते हैं।