Tuesday Special: आज करें ये काम, जीवन के हर संकट से मिलेगी मुक्ति

Tuesday, Apr 11, 2023 - 06:41 AM (IST)

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Tuesday Special: हिंदू धर्म में कोई भी पूजा बिना आरती के संपन्न नहीं होती। मान्यताओं के अनुसार आरती का अर्थ होता है श्रद्धा के साथ ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना। हनुमान जी सर्वशक्तिमान और सर्वोच्च देव हैं। कहा जाता है अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल कमजोर हो तो उसे मंगलवार के दिन हनुमान जी की आरती जरूर पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से मारुती नंदन बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। वायु पुत्र की आरती पढ़ने के बहुत से लाभ होते हैं। तो आइए जानते हैं हनुमान जी की आरती पढ़ने और सुनने के क्या-क्या फायदे होते हैं। जो व्यक्ति निरंतर हनुमान जी की भक्ति करता है, उसे भूत-पिशाच, ग्रह बाधा, रोग-शोक, कोर्ट-कचहरी, जेल बंधन, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना, मंगल एवं शनि दोष, कर्ज, बेरोजगारी, तनाव या चिंता से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।

ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा व आरती शाम के समय करनी चाहिए। श्री रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी ने स्वयं कहा है-

'प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥'

अर्थात मैं जिस कुल से यानी वानर कुल से हूं अगर सुबह-सुबह उसका नाम ले लेता है तो उस दिन उसको भोजन भी मुश्किल से मिलता है। इसलिए प्रात: के समय बिना अन्न-जल ग्रहण किए वानर नाम नहीं लेना चाहिए।

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Benefits of reading Hanuman ji ki aarti हनुमान जी की आरती पढ़ने के फायदे:
अगर नियमित रूप से घर में बजरंगबली की आरती की जाए तो परिवार का माहौल एक दम शांत रहता है और नकारात्मक शक्तियां कोसों दूर रहती हैं।
अंजनी नंदन की आरती पढ़ने वाले व्यक्ति के हर तरह के भय दूर हो जाते हैं।
मानसिक चिंताओं ने अगर घेरा हुआ है तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए।

Perform Hanuman ji's aarti with this method इस विधि से करें हनुमान जी की आरती: सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार न केवल हनुमान जी बल्कि सभी देवी-देवताओं की आरती चरणों में 4 बार, नाभि में 2 बार, मुख की तरफ 1 बार और सिर से लेकर चरणों तक 7 बार आरती उतारनी चाहिए। इस क्रम में आरती 14 बार घुमाई जाने का विधान है। पुराणों में कहा गया है कि आरती हमेशा पंचमुखी अथवा सप्तमुखी ज्योति से करनी चाहिए। यानी दीपक में 5 या 7 बाती लगाकर आरती करें। इसके साथ-साथ शंख और घंटी का प्रयोग आरती में अवश्य करना चाहिए।

Hanuman ji ki aarti: आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतन के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठि पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका विध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।


 

Niyati Bhandari

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