बड़े काम के हैं ये छोटे-छोटे उपाय, आज़मा कर देखें

Wednesday, Jun 05, 2019 - 01:40 PM (IST)

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आजकल परिवारों में समाज में प्रत्येक जन किसी न किसी समस्या के कारण अशांत है तथा अपने आप को विभिन्न ग्रहों से पीड़ित पाता है। ज्योतिषियों द्वारा निर्देशित नाना प्रकार के उपायों से कई बार वह अपनी आर्थिक स्थिति के कारण उपाय करने में असमर्थ होता है। ऐसे व्यथित लोगों के लिए अति सरल-सुलभ सुगम उपाय प्रस्तुत हैं। बड़े काम के हैं ये छोटे-छोटे उपाय, आज़मा कर देखे : 

रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्ममुहूर्त कहते हैं अर्थात सुबह 4 बजे से 5.30 बजे का समय। कहा जाता है कि ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पढऩे-लिखने अथवा घूमने-फिरने वाले व्यक्ति के बुद्धि और ज्ञान में विशेष वृद्धि होती है। निद्रा त्याग के लिए ब्रह्ममुहूर्त का समय सर्वश्रेष्ठ है। जो व्यक्ति ब्रह्ममुहूर्त में उठता है, वह स्वास्थ्य, सौंदर्य और मेधा में अव्वल रहता है। उसकी कांति बढ़ती है। मन और आत्मा का कोना-कोना सत्यं, शिवं और सुंदरम् की अभिकल्पना से भर जाता है। ब्रह्ममुहूर्त के समय बहने वाली हवा के कण-कण में गजब की शक्ति होती है।

किसी भी तरह की परेशानी से मुक्ति के लिए एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जाएं। प्रात: उस जल को तुलसी के पौधे पर चढ़ा दें।

नौकरी जाने का खतरा हो तो पांच ग्राम डली वाला सुरमा लेकर उसे किसी वीरान जगह पर गाड़ दें। ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है, उस औजार को वापस न लाएं। उसे वहीं फैंक दें।

बच्चे न पढ़ते हों तो 100 ग्राम खसखस लेकर शुक्ल पक्ष के बृहस्वापतिर को प्रारंभ करके हर रोज प्रात: उस पर गायत्री की 2 माला पढ़ें। उसके बाद बच्चे को नित्य उसमें 4 ग्राम किसी भी तरह सब्जी, दूध में डाल कर अथवा घी में भूनकर दूध में मिलाकर दे दें। यह प्रयोग आगे भी जारी रख सकते हैं। 

रविवार की शाम सफेद कनेर की जड़ को सिरहाने रखें। रात्रि में वहीं रखी रहने दें और सो जाएं। प्रात: काल उस जड़ को चौराहे पर फिंकवा दें। यह क्रिया चार दिन तक नियमित करें, ज्वर से मुक्ति मिल जाएगी।

Niyati Bhandari

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