दुनिया का एेसा मंदिर जहां 3 आंख वाले हैं गणेश जी

Wednesday, Dec 26, 2018 - 02:41 PM (IST)

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जयपुर से त्रिनेत्र गणेश मंदिर की दूरी 142 किलोमीटर के लगभग है। पूरी दुनिया का यह एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है, जहां गणेश जी अपने पूरे परिवार, जिनमें दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि एवं दोनों पुत्रों शुभ और लाभ के साथ विराजमान हैं। सबसे बड़ी खासियत है यहां आने वाले पत्र। घर में शुभ काम हो तो प्रथम पूज्य को निमंत्रण भेजा जाता है। इतना ही नहीं परेशानी होने पर उसे दूर करने की अरदास भक्त यहां पत्र भेजकर लगाते हैं। रोजाना हजारों निमंत्रण पत्र और चिट्ठीयां यहां डाक से पहुंचती हैं। कहते हैं यहां सच्चे मन से मांगी मुराद पूरी होती है।

देश में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते हैं, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम हैं। इस मंदिर के अलावा सिद्धपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्धपुर सिहोर मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित हैं। इन गणेश दरबारों में लाखों भक्त अपनी हाजरी लगाते हैं।

रणथम्भौर गणेश जी का मंदिर प्रसिद्ध रणथम्भौर टाइगर रिजर्व एरिया में स्थित है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। बारिश के दौरान यहां कई जगह झरने फूट पड़ते हैं और पूरा इलाका रमणीय हो जाता है। यह मंदिर किले में स्थित है और यह किला संरक्षित धरोहर है। गणेश जी का यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है। इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं दुनिया
का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहां गणेश जी की पहली त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है। इसे रणतभंवर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर 1,579 फुट ऊंचाई पर अरावली और विंध्याचल की पहाडिय़ों में स्थित है।

महाराज हम्मीरदेव चौहान तथा दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी का युद्ध 1299-1309 ईस्वी के बीच रणथम्भौर में हुआ। इस दौरान नौ महीने से भी ज्यादा समय तक यह किला दुश्मनों ने घेरे रखा। दुर्ग में राशन सामग्री समाप्त होने लगी तब गणेश जी ने हम्मीरदेव चौहान को सपना दिया और उस स्थान पर पूजा करने के लिए कहा जहां आज यह गणेश जी की प्रतिमा है। हम्मीर देव वहां पहुंचे तो उन्हें वहां स्वयंभू प्रकट गणेश जी की प्रतिमा मिली। हम्मीर देव ने फिर यहां मंदिर का निर्माण कराया।
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Niyati Bhandari

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