संजीवनी बूटी लाते समय भ्रम में फंसे थे हनुमान, आज विश्व भर में लोकप्रिय है ये स्थान

Wednesday, Jun 28, 2017 - 01:47 PM (IST)

शिवालिक पहाडिय़ों पर स्थित कालका में चंडीगढ़-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर मां काली का मंदिर है। इसके पूर्व में मुकुटमणि के रूप में त्रिमूर्ति धाम है। यह पुरातन हिंदू देव स्थान है। यहां एक शिला पर तीन देव-हनुमान जी, प्रेतराज सरकार एवं भैरव एक साथ हैं जो बालाजी हनुमान या त्रिमूर्ति धाम के नाम से विख्यात है। 1988 से पहले यह स्थान अज्ञात रहा। पौराणिक मान्यता है कि इस जगह त्रिदेव एक शिला पर दिखाई देते हैं। 


बालाजी हनुमान को विष्णु रूप में पूजा जाता है। पीला ध्वज, पीली पोशाक, पीले परिधानों से अक्सर इसे सजाया जाता है। मान्यता है कि बाला जी को विष्णु अवतार भी कहा जाता है। इनको तीन रूपों-ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव में पूजने का विधान है। 1988 से पहले इस पहाड़ी को भैरों की सेर गांव के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर के पुजारी ने इस स्थान की खोज की। उनका कहना है कि 1988 में इस शिला को ढूंढा गया और इस पर त्रिमूर्ति दिखाई दी। तब से आज तक निरंतर इस स्थान का कार्य चल रहा है। आज कालका में ही नहीं अपितु विश्व में भी यह स्थान त्रिमूर्ति धाम से लोकप्रिय है।


ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी द्रोणगिरि पर्वत से संजीवनी बूटी लाने के लिए इस स्थान पर रुके थे। हरी-भरी पहाडिय़ां एवं जड़ी-बूटियों के कारण उनको भ्रम हो गया कि संजीवनी बूटी इस जगह न हो।


हरे-भरे पेड़ तथा बरसात के दौरान अनेक जड़ी-बूटियां उत्पन्न होती हैं जिनको रामनवमी के दिन यहां के पुजारी श्रद्धालुओं को दिया करते हैं। यह असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधि कहलाती हैं। यहां अलौकिक ऊर्जा है जिससे मानसिक शांति मिलती है।


सुरसा का विशाल रूप, चित्रगुप्त का दरबार, सर्व-धर्म उद्यान, सप्त ऋषियों का स्थल, एकादश शिवलिंग, प्रेतराज सरकार एवं अंगेश्वर महादेव के दर्शन होते हैं। लंका से अनोखे लाल की भव्य मूर्ति लाई गई है जिनके आगे इच्छापूर्ण की अर्जी लगाई जा सकती है। यह स्थल भारतीय जीवन पद्धति, नैसर्गिक धार्मिक पर्यटन एवं आस्था का देव मंदिर है।    

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