आज का गुडलक- मुकदमों में दिलाएगा सौ फिसदी सफलता

punjabkesari.in Sunday, Aug 27, 2017 - 06:49 AM (IST)

रविवार दि॰ 27.08.17 को भाद्रपद शुक्ल स्कन्ध षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान शंकर व देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय अर्थात भगवान स्कन्ध को समर्पित है। शास्त्र निर्णयामृत के अनुसार भाद्रपद की षष्ठी को दक्षिणापथ में स्कन्ध दर्शन से ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। हेमाद्रि व कृत्यरत्नाकर जैसे पंडितों ने ब्रह्म पुराण से इनकी व्यख्या को समझाया है। भगवान कार्तिकेय युद्ध, शक्ति व ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। मान्यतानुसार कोर्ट, जमीन, पैसे आदि के विवाद को निपटाने हेतु भगवान कार्तिकेय की आराधना निश्चित सफलता देती है।


विशेष पूजन: किसी शिवालय में भगवान कार्तिकेय का पंचोपचार पूजन करें। तेल का दीप करें, गुगल धूप करें, सिंदूर चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं तथा इस विशिष्ट मंत्र का 108 बार जाप करके निम्नलिखित श्रीस्कन्दषट्कम् स्तोत्र का पाठ करें। पूजन उपरांत गुड़ गाय को खिलाएं। 


पूजन मुहूर्त: प्रातः 6:40 से प्रातः 7:30 तक। अथवा शाम 18:45 से शाम 19:35 तक।


विशेष मंत्र: ॐ स्कंदाय नमः॥


महूर्त विशेष
अभिजीत मुहूर्त:
दिन 11:56 से 12:46 तक।


अमृत काल: प्रातः 08:15 प्रातः 09:59 तक।


यात्रा महूर्त: दिशाशूल - पश्चिम। राहुकाल वास - उत्तर। अतः आज पश्चिम व उत्तर दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
गुडलक कलर:
लाल।


गुडलक दिशा: पूर्व।


गुडलक टाइम: शाम 16:00 से शाम 17:00 तक।


गुडलक मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात॥


गुडलक टिप: वाद-विवाद में विजय हेतु भगवान स्कन्द पर मोर पंख चढ़ाएं।


गुडलक फॉर बर्थडे: आरोग्य हेतु भगवान स्कन्द के समीप सिंदूर मिले तेल के 6 दीप जलाएं।


गुडलक फॉर एनिवर्सरी: दंपति द्वारा शाम में भगवान स्कन्द पर दूध व शहद चढ़ाने से आपसी प्रेम बढ़ेगा।


श्री स्कन्द अष्टक स्तोत्र
षण्मुखं पार्वतीपुत्रं क्रौञ्चशैलविमर्दनम्। देवसेनापतिं देवं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥१॥
तारकासुरहन्तारं मयूरासनसंस्थितम्। शक्तिपाणिं च देवेशं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥२॥
विश्वेश्वरप्रियं देवं विश्वेश्वरतनूद्भवम्। कामुकं कामदं कान्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥३॥
कुमारं मुनिशार्दूलमानसानन्दगोचरम्। वल्लीकान्तं जगद्योनिं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥४॥
प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्। भक्तप्रियं मदोन्मत्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥५॥
विशाखं सर्वभूतानां स्वामिनं कृत्तिकासुतम्। सदाबलं जटाधारं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम् ॥६॥
स्कन्दषट्कं स्तोत्रमिदं यः पठेत् शृणुयान्नरः। वाञ्छितान् लभते सद्यश्चान्ते स्कन्दपुरं व्रजेत् ॥७॥
इति श्रीस्कन्दषट्कं सम्पूर्णम्॥


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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