Vishwakarma Puja: धन-धान्य की अभिलाषा पूरी करते हैं देवताओं के इंजिनियर

Tuesday, Nov 14, 2023 - 09:27 AM (IST)

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Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पी के रूप में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। शिल्पी वर्ग दीपावली के दूसरे दिन शिल्पकला के अधिदेवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा करता है। देवताओं के समस्त विमानादि तथा अस्त्र-शस्त्र इन्हीं के द्वारा निर्मित हैं। संसार में आज जितना भी विकास हुआ है वह भगवान विश्वकर्मा जी की देन है, जिन्होंने सूई से लेकर जहाज तक बनवाने के गुण अपने पैरोकारों को सिखाए। आज समुद्र, आसमान और जमीन पर जो कुछ भी हो रहा है वह सब विश्वकर्मा जी की देन है।   

हिंदू धर्म के लगभग सभी ग्रंथों में यांत्रिक, वास्तुकला, धातुकर्म, प्रक्षेपास्त्र विद्या, वैमानिकी विद्या आदि के जितने भी प्रसंग प्राप्त होते हैं, उन सभी के अधिष्ठाता विश्वकर्मा माने गए हैं। आज मनुष्य योनि में जितनी भी सुख-सुविधाओं का सुख भोगा जा रहा है उनका निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया। कहते हैं इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पांडवपुरी, सुदामापुरी और शिवमंडलपुरी आदि को बनाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।

कहा जाता है कि प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थीं, प्राय: सभी विश्वकर्मा की ही बनाई कही जाती हैं। यहां तक कि सतयुग का ‘स्वर्ग लोक’, त्रेता युग की ‘लंका’, द्वापर की ‘द्वारिका’ और कलयुग का ‘हस्तिनापुर’ आदि विश्वकर्मा रचित ही थे। ‘सुदामापुरी’ की तत्क्षण रचना के बारे में भी यह कहा जाता है कि उसके निर्माता भी विश्वकर्मा थे। इससे यह आशय लगाया जाता है कि धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वाले पुरुषों को बाबा विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी है। कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, शंकर का त्रिशूल और यमराज का कालदंड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। भगवान श्री राम के लिए सेतु निर्माण करने वाले वानर राज नल इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे। हिन्दू शिल्पी अपने कर्म की उन्नति के लिए इनकी आराधना करते हैं।

Niyati Bhandari

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