आज भगवान शिव खुश होकर करेंगे नृत्य, करें ये काम मिलेगा अक्षय गुणा फल

Tuesday, May 19, 2020 - 07:53 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhom pradosh: भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष से भाव है त्रयोदशी तिथि। जिस तिथि पर सभी दोषों का नाश हो जाता है, वह तिथि भोम प्रदोष कहलाती है। जब ये मंगल को पड़ती है तो इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। मंगल के स्वामी हैं हनुमान, त्रयोदशी के शिव जी। इस तिथि पर की गई आराधन से शिव कृपा से हर दोष का नाश होता है। मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से निजात पाई जा सकती है। संकटमोचन हनुमान जी कर्ज और शत्रु नाश करते हैं। कहते हैं व्रत करने से उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। 


सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्याधिक प्रभावकारी माने गए हैं। साधारण तौर पर अलग-अलग जगह पर द्वाद्वशी और त्रयोदशी की तिथि को प्रदोष तिथि कहते हैं। महीने में दो बार आने वाले शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत कहते हैं। यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं, यदि मंगल वार हो तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं और शनिवार हो तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।  

इस दिन व्रत रखने का विधान है। प्रदोष व्रत का महत्व कुछ इस प्रकार का बताया गया हैं कि यदि व्यक्ति को सभी तरह के जप, तप और नियम संयम के बाद भी यदि उसके गृहस्थ जीवन में दु:ख, संकट, क्लेश आर्थिक परेशानि, पारिवारिक कलह, संतानहीनता या संतान के जन्म के बाद भी यदि नाना प्रकार के कष्ट विघ्न बाधाएं, रोजगार के साथ सांसारिक जीवन से परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं, तो उस व्यक्ति के लिए प्रति माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर जप, दान, व्रत इत्यादि पुण्य कार्य करना शुभ फलप्रद होता हैं।


आज 19 मई मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत का शुभ संयोग बन रहा है। इस काल में भगवान शिव की पूजा करने से वह शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि को जब प्रदोष काल आता है तो भगवान शिव प्रसन्नचित मुद्रा में नृत्य करते हैं। इस दौरान इनका पूजा अवश्य करना चाहिए।

 
भौम प्रदोष व्रत को शिव पूजन करने से मंगल दोषों का निवारण होता है। मंगलवार की शाम हनुमान चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से अक्षय गुणा फल मिलता है। मसूर की दाल, लाल वस्त्र, गुड़ और तांबे का दान करना चाहिए। 

 
सूरज ढलने के बाद भगवान शिव और उनके अवतार हनुमान जी की उपासना करें। हनुमान जी को बूंदी के लड्डू अथवा बूंदी का प्रसाद चढ़ाकर बांटें। फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करके भोजन करें।

Niyati Bhandari

Advertising