महाभारत लिखने के लिए श्रीगणेश ने स्वयं तोड़ा था अपना दांत

Tuesday, Nov 07, 2017 - 10:13 AM (IST)

जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक बुद्धिमान व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकली महाभारत की कहानी को समझ कर लिख सके। इस कार्य के लिए उन्होंने श्रीगणेश जी को चुना। गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उन्होंने  महर्षि वेदव्यास के समक्ष एक शर्त रखी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल के लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी ने कहा कि, ''अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।''

 

महर्षि वेदव्यास नें गणेश जी की इस शर्त को मान लिया लेकिन वेदव्यास जी ने भी गणेश जी के समक्ष एक शर्त रखी और कहा, ''गणेश आप को सब कुछ समझ कर लिखना होगा।'' गणेश जी ने भी उनकी शर्त को स्वीकार कर लिया। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुख से बोलने लगे और गणेश जी उसे समझ-समझ कर शीघ्रता से लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी की कलम टूट गई। कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सकी।

 

गणेश जी समझ चुके थे कि उन्हें गर्व हो गया था जिसके कारण वह महर्षि की शक्ति और ज्ञान को न समझ सके। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ा और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत की कथा को लिखना प्रारंभ कर दिया। जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होता वे एक मुश्किल सा छंद बोलते, जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता था और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता था।


महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में पूरे 3 वर्ष लग गए थे। तदनुसार महाभारत के कुछ छंद घूम हो चुके हैं परंतु आज भी इस कविता में 100000 छंद मौजूद हैं।

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