श्रीकृष्ण ने किसे दिया था योग का अद्भुत ज्ञान, क्या आप जानते हैं?

Thursday, Jun 18, 2020 - 02:53 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
21 जून को सूर्य ग्रहण वाले दिन विश्व योग दिवस मनाया जाएगा। कहा जा रहा इस बार का सूर्य ग्रहण न केवल किसी एक देश को बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाला है। इसलिए ज्योति विशेषज्ञ इस दिन की जाने वाले सावधानियों के बारे में बता रहे हैं। तो वहीं इस दिन विश्व योग दिवस होने के कारण इसकी भी तैयारियों चल रही है। हालांकि कोरोना के चलते संभव है इसे जैसे हर साल मनाया जाता, वैसे न मनाया जाए। धार्मिक शास्त्रों में भी योग का अधिक महत्व बताया गया है। मगर आज हम आपको योग से जुड़ा एक ऐसा तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आप लोग नहीं जानते होंगे। 

बताया जाता है भारतीय इतिहास में ऐसा कोई समय नहीं रहा जब देश में योग-ज्ञान का बोलबाला नहीं था। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सृष्टि के प्रारंभ में मैंने ही इस अविनाशी योग का ज्ञान सूर्य को दिया। जिसके बाद सूर्य ने इसका ज्ञान मनु को दिया, और मनु ने आगे इक्ष्वाकु को इसका ज्ञान प्रदान किया। 

जिससे सृष्टि के प्रारंभ से योग का ज्ञान निरंतर बहता चला आ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि योग का अर्थ केवल आसन करना है, परंतु ऐसा नहीं है योग करने से अर्थात केवल आसन करना नहीं है, बल्कि अपने ही शुद्ध स्वरूप को जानने और उसमें टिक जाने से है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार योग की विभिन्न विधियां, उपाय, साधनाएं समय पर ऋषियों द्वारा वर्णित हुई जिसके माध्यम से ज्ञान अलग-अलग शास्त्रों में बिखर गया। बता दें योग के इस बिखरे ज्ञान को लगभग 2200 साल पहले महर्षि पतंजलि ने इकट्ठा कर एक स्थान पर लिपिबद्ध किया, जिसे योग सूत्र का नाम दिया गया। इस ग्रंथ में योग के हर पहलू  पर ज्ञान दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें योगसूत्र नामक इस ग्रंथ में 195 सूत्र है और चार अध्याय है दो इस प्रकार है-समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद और कैवल्यपाद!

 

Jyoti

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