रोगों को छू मंतर करने के लिए करें गाय के इन अंगों का दर्शन

Wednesday, Jun 05, 2019 - 12:50 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

हिंदू धर्म में गौ सेवा को एक कर्तव्य के रूप में माना गया है। इन्हें न केवल पवित्र जीव माना गया है बल्कि मां का स्थान दिया गया है। व्यक्ति की कुंडली में जब कोई दोष होता है तो उसे गाय माता के आशीर्वाद से दूर किया जा सकता है, आइए जानें कैसे सूर्य, चंद्र, मंगल या शुक्र की युति राहू से हो तो पितृदोष होता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य का संबंध पिता से एवं मंगल का संबंध रक्त से होने के कारण सूर्य यदि शनि, राहू या केतु के साथ स्थित हो या दृष्टि संबंध हो तथा मंगल की युति राहू या केतु से हो तो पितृदोष होता है। इस दोष से जीवन संघर्षमय बन जाता है। यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है। 

किसी की जन्मपत्रिका में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्थिति में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हों तो गाय की पूजा करनी चाहिए, दोष समाप्त होंगे।

जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव (6, 8, 12) में स्थित हो तो प्रात:काल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की गाय को खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधी कुदोष स्वत: समाप्त हो जाता है।

आख़िर पहली रोटी गाय को ही क्यों ! (VIDEO)

गाय के घी का एक नाम आयु भी है-‘आयुर्वै घृतम्’। अत: गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु वाला होता है। हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें।

देशी गाय की पीठ पर जो ककुद् (कूबड़) होता है, वह ‘बृहस्पति’ (गुरु) है। अत: जन्म पत्रिका में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हो या अशुभ स्थिति में हो तो देशी गाय के इस बृहस्पति भाग एवं शिवलिंग रूपी ककुद् के दर्शन करने चाहिएं। गुड़ तथा चने की दाल रखकर गाय को रोटी भी दें।

जन्मपत्रिका में सूर्य-चंद्र कमजोर हो तो गौनेत्र के दर्शन करें तो लाभ होगा क्योंकि गौमाता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्सना के अधिष्ठाता चंद्रदेव का निवास होता है।

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Niyati Bhandari

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