हनुमान जी को अपने घर आमंत्रित करने के लिए करें ये काम

Monday, Aug 21, 2017 - 11:39 AM (IST)

बजरंग बाण का नियमित पाठ बाधाओं और आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में पूर्ण सक्षम है। शारीरिक व्याधि, घर में भूत-प्रेत आदि कई बाधाएं और मानसिक परेशानियां आदि के निवारण में यह स्रोत रामबाण की तरह है जिसके घर में इसका नित्य पाठ होता है, उसके घर में साक्षात महावीर विराजमान रहते हैं और किसी प्रकार की कोई भी बाधा नहीं आती। साधक को चाहिए कि वह अपने सामने हनुमान जी का चित्र या उनकी मूर्ति रख लें और पूरी भावना तथा आत्मविश्वास से उनका मानसिक ध्यान करें। यह विचार करें कि हनुमान जी की दिव्य और बलवान शक्तियां मेरे मन में प्रवेश कर रही हैं। मेरे चारों ओर के अणु उत्तेजित हो रहे हैं और यह सशक्त वातावरण मुझे और मेरी मन-शक्ति को बढ़ाने में सहायक हो रहा है। धीरे-धीरे इस प्रकार का अभ्यास करने से साधक के मन में शक्ति का स्रोत खुलने लगता है और एकाग्रता पर उसका नियंत्रण होने लगता है। जब ऐसा अनुभव हो, तब बजरंग बाण की सिद्धि समझनी चाहिए।


फिर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर की चंदन, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए और श्रद्धायुक्त प्रणाम कर नीचे लिखी स्तुति करनी चाहिए :
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्॥
सकलगुण निधानं वानराणामधीश।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
(श्री रामचरितमानस 51 श्लोक 3)


अर्थात जो अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत, सुमेरू के समान कांतियुक्त शरीर वाले, दैत्यरूपी वन को विध्वंस करने के लिए अग्रिरूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी और श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त हैं, उन पवन पुत्र श्री हनुमान जी को प्रणाम।


इस प्रकार की स्तुति कर साधक को चाहिए कि वह अपने पास दाहिने हाथ की तरफ एक आसन बिछा दें। जैसा कि शास्त्रों में उल्लिखित है कि जब भी बजरंग बाण का पाठ किया जाता है, स्वयं हनुमान जी आसन पर आकर बैठ जाते हैं।


हनुमान जी की पूजा में इत्र, सुगंधित द्रव्य एवं गुलाब के पुष्पों का प्रयोग निषिद्ध है। साधक स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर बैठें। यदि साधक लाल वस्त्र की लंगोट पहनें तो ज्यादा अनुकूल माना गया है। शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए परन्तु वे हनुमान जी की मूर्ति  या तस्वीर के सामने दीपक या अगरबत्ती लगा सकती हैं। हनुमान जी के सामने तेल का दीपक जलाना चाहिए एवं उन्हें गुड़ का भोग लगाना चाहिए।


इस स्रोत का पाठ प्रात:काल के अलावा सायंकाल या रात्रि को सोते समय भी किया जा सकता है परन्तु जब भी इसका पाठ करें, पृथ्वी पर ऊनी वस्त्र का आसन बिछाकर मन में हनुमान जी का ध्यान कर पाठ करें।


यदि साधक यात्रा पर हो, तब भी वह रेल/बस/हवाई जहाज आदि में यात्रा के समय इसका पाठ कर सकता है। धीरे-धीरे साधक अनुभव करेगा कि वह पहले की अपेक्षा ज्यादा सशक्त है, विरोधियों पर हावी हो रहा है, उसका मन ज्यादा एकाग्र हो रहा है और उसके पूरे शरीर में एक नई चेतना, एक नया जोश और एक नई शक्ति का प्रादुर्भाव हो रहा है। बच्चों की नजर उतारने, शांत और गहन निद्रा के लिए, कष्ट और संकट के समय, रात्रि में अकेले यात्रा करते समय, भूत बाधा दूर करने तथा अकारण भय को दूर करने के लिए यह स्रोत्र आश्चर्यजनक सफलतादायक है। किसी महत्वपूर्ण कार्य पर जाने से पूर्व भी यदि इसका पाठ किया जाए तो उसे निश्चय ही सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है। 

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