इतिहास साक्षी है, जो Husband नहीं मानते Wife की बात वो हो जाते हैं तबाह

Friday, Apr 03, 2020 - 03:14 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

सद्गुण सम्पन्न व्यक्ति के पास जब धन तथा ऐश्वर्य आता है तो वह और विनम्र एवं विनयशील बन जाता है, लेकिन जब मूर्ख के पास धन और ऐश्वर्य आता है तो वह अहंकारी हो जाता है। ज्ञानी व्यक्ति यह भली-भांति जानता है कि जब अहंकार बढ़ता है, तो वह मनुष्य को केवल पतन के मार्ग पर ही लेकर जाता है, ऐश्वर्ययुक्त मनुष्य की हां में हां मिलाने वाले अनेक लोग होते हैं, परंतु सही परामर्श प्रदान करने वाले विरले ही होते हैं। विवेकशील मनुष्य सदैव उन्हीं से परामर्श लेते हैं, जिनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ न हो, जो केवल जन-कल्याण की भावना से ही परामर्श देते हैं और जिसमें किसी का अहित नहीं होता।

किसी भी आयु वर्ग का व्यक्ति संसार की एक ऐसी चीज है जिसे देना तो पसंद करता है लेकिन लेना नहीं और वो है सलाह। शत्रु की सलाह में उसका स्वार्थ छिपा होता है। अपनों की सलाह में अपनापन।

पति-पत्नी को अपनी जीवन रूपी गाड़ी चलाने के लिए पग-पग पर एक दूसरे की सलाह की अवश्यकता होती है क्योंकि दोनों ही एक दूसरे का हित चाहते हैं उनमें अपनापन होता है। कहने का अंदाज गलत हो सकता है लेकिन उसमें समाया प्रेम और चिंता का भाव नहीं। पति-पत्नी ही एक-दूसरे के श्रेष्ठ सलाहकार होते हैं।

सुख-शांति से गृहस्थ जीवन चले इसके लिए जीवनसाथी की सलाह मानकर ही आगे बढ़ें। धर्म शास्त्रों में भी ऐसे बहुत से उदाहरण सामने आते हैं जिससे जीवनसाथी की बात न मान कर हानि ही उठानी पड़ी।

मंदोदरी ने रावण को बहुत बार समझाया था श्रीराम से वैर भाव न करे क्योंकि वो साक्षात नारायण का अवतार हैं लेकिन रावण ने उसकी एक न मानी परिणामस्वरूप वे अपने सभी पुत्रों और भाई कुंभकर्ण के साथ स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त हुआ।

भगवान शिव ने सती को बिन बुलाए उनके पिता के घर जाने से रोका था लेकिन वो नहीं मानी और चली गई। वहां जाकर अपने पति का अपमान तो सहन करना ही पड़ा साथ ही अपनी देह को भी त्याग दिया।

द्रोपदी ने अपने पति धर्मराज युधिष्ठिर को जुआ खेलने से बहुत रोका लेकिन उन्होंने उनकी एक न मानते हुए जुआ खेला, जिसमें वो अपना सब कुछ हार गए। महाभारत युद्ध का एक कारण यह भी माना जाता है।


 

 

Niyati Bhandari

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