विज्ञान ने भी माना, शास्त्रों का ये तरीका बेस्वाद खाने में भी भर देता है स्वाद

Monday, Sep 09, 2019 - 09:01 AM (IST)

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भोजन करते समय बहुत-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भोजन को भी पूजनीय माना गया है, इसी वजह से खाने से पहले भोजन को प्रणाम किया जाता है। फिर अन्न देवता से प्रार्थना करनी चाहिए। अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। इसके साथ किसी दिव्य-मंत्र का जप करना चाहिए। वैसे तो शास्त्रों में कई भोजन मंत्र बताए गए हैं, जिन्हें खाना खाने से पहले बोला जाता है। इनके अतिरिक्त हम गायत्री मंत्र, ॐ नम:शिवाय जैसे विशिष्ट मंत्र भी बोलकर भोजन कर सकते हैं। इससे बेस्वाद खाने में भी स्वाद भर जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इन मंत्रों के प्रभाव से हमें हमेशा ही भोजन मिलता रहता है और देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है। मंत्रों की शक्ति से हम सभी भली-भांति परिचित हैं। भोजन से पहले मंत्र बोलने पर व्यक्ति को भूख अच्छे से लगती है, खाना पचने में कोई समस्या नहीं होती। साथ ही मंत्रों की शक्ति से भोजन से असीम ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

यह भी कहा गया है कि यदि आप मंत्र न बोल सकें तो अपने गुरु या अपने इष्ट का स्मरण करके भोजन शुरू कर सकते हैं। भोजन के पश्चात 100 कदम चहलकदमी करनी चाहिए। थोड़ी देर वज्रासन में भी बैठना उत्तम है।

बैठ कर खाना लगता है अधिक स्वादिष्ट
वैज्ञानिकों का दावा है कि बैठ कर भोजन करना अधिक स्वादिष्ट लगता है जबकि खाते वक्त कुछ मिनट भी खड़े रहने से शारीरिक थकान बढ़ती है और ‘टेस्ट बड्स’ (स्वाद ग्रंथियां) सही ढंग से काम नहीं कर पाती हैं। जर्नल ऑफ कंज्यूमर रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन के दौरान विशेष ध्यान ‘वैस्टिबुलर सैंस’ पर दिया गया जिससे शरीर के संतुलन से लेकर स्वाद का अहसास तक प्रभावित होता है। 

अमेरिका की साऊथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर दीपायन बिश्वास के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुरुत्वाकर्षण बल शरीर के निचले हिस्से की ओर रक्त को तेजी से खींचता है जिसकी वजह से हृदय को रक्त को वापस ऊपर खींचने के लिए अधिक तेजी से काम करना पड़ता है और हृदयगति बढ़ जाती है। इस दौरान तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कार्टिसोल का स्तर भी बढ़ता है जिसकी वजह से स्वाद, उसके तापमान आदि का पता लगाने की संवेदनशीलता कम हो जाती है। खड़े होकर खाने से आपको असुविधा का सामना करना पड़ता है जिस वजह से आप कितना भी बढिय़ा खाना क्यों न खा रहे हों आपको उसका पूरा स्वाद नहीं मिलेगा और वह बेस्वाद भी लग सकता है। 

इस तरह हुआ अध्ययन 
शोधकर्ताओं ने इसके लिए 350 लोगों पर अध्ययन किया। सभी को एक ही तरह का खाना दिया गया और अपने हिसाब से उसके बारे में बताने को कहा गया। जिन्होंने खड़े होकर खाया उनका अनुभव खाने को लेकर अच्छा नहीं था जबकि बैठ कर आराम से खाने वालों का अनुभव कहीं बेहतर रहा। पहले उन्हें चिप्स दिए गए। जो लोग खड़े थे उन्होंने गद्देदार कुर्सी पर बैठ कर खाने वालों की तुलना में इन्हें कम पसंद किया।

खड़े होकर खाओ बेस्वाद चीजें  
जब प्रतिभागियों को एक स्थानीय रेस्तरां में बना केक दिया गया जिसे सभी लोग काफी पसंद करते हैं। बैठे हुए लोगों ने इसे बहुत स्वादिष्ट बताया। हालांकि, जब बेकर ने नुस्खा बदल कर इसमें अधिक नमक डाल कर थोड़ा-सा बेस्वाद कर दिया तो परिणाम और चौंकाने वाले रहे। 

खड़े होकर खाने वालों को केक में अधिक नमक का अहसास नहीं हुआ और वास्तव में बैठ कर खाने वाले लोगों की तुलना में उन्होंने उसे अधिक पसंद किया।  

प्रो. दीपायन ने कहा, ‘‘इस खोज से पता चलता है कि माता-पिता स्वस्थ परंतु अप्रिय स्वाद वाली चीजों को अपने बच्चों को खड़े होकर खाने को कह सकते हैं क्योंकि इससे बच्चों को उनके खराब स्वाद का अहसास कम होगा और वे उसे खाने से हिचकेंगे नहीं।’’ 

इसी प्रकार अप्रिय स्वाद वाली दवाइयों का सेवन खड़े होकर करना भी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि वे उतनी बेस्वाद नहीं लगेंगी जितनी कि बैठ कर उन्हें खाने पर वे लग सकती हैं। 

तापमान का अहसास भी कम होता है
अध्ययन में यह भी पता चला कि खड़े होकर खाने से भोजन के तापमान का भी सही-सही आभास नहीं होता है। प्रतिभागियों को गर्म कॉफी दी गई तो जो लोग खड़े थे, उन्हें वह बैठ कर पीने वालों की तुलना में कम गर्म प्रतीत हुई। 

Niyati Bhandari

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