Kundli Tv-  पांच चीज़ों के मेल से बनी ये चीज़, कष्टों का करती है विनाश

Monday, Jul 16, 2018 - 11:56 AM (IST)

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हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा एवं आरती के बाद पंचामृत बांटने की परम्परा सदियों से है। हम पंचामृत को हाथों में लेते हैं और उसका पान करके सिर पर पोंछ लेते हैं परंतु यह पंचामृत क्या होता है, इसका पूजा-पाठ के बाद वितरण का इतना महत्व क्यों है यह नहीं जानते।

यूं तो हर देवी-देवता से जुड़े विभिन्न प्रकार के प्रसाद एवं भोगों का चलन है परंतु पंचामृत का इसमें एक अलग ही विशेष स्थान है। चम्मच भर पंचामृत की बूंदें किसी महाप्रसाद से कम नहीं होतीं। इसका महत्व इतना ज्यादा है कि मंदिर में लोग इसके पान के लिए घंटों कतारों में प्रतीक्षा करते हैं। कुछ लोग चरणामृत को पंचामृत भी कहते हैं तथा इसे पंचामृत या चरणामृत कहने के पीछे भी कई गहरे अर्थ छिपे हैं।

पंचामृत यानी पांच पवित्र तत्वों का मिश्रण। दूध, दही, शहद, घृत (घी) और गंगाजल के मिश्रण से बनता है पंचामृत जिसका प्रसाद के रूप में विशिष्ट स्थान है। इसी से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है। इसे बहुत ही शुभ माना जाता है और पीने में भी स्वादिष्ट होता है। पंचामृत में मिश्रित सभी पदार्थ तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं की पूजा में आवश्यक रूप से प्रयोग में लाए जाते हैं। वेदानुसार पंचामृत मनुष्य के सफल जीवन का आधार है। इसका पान करते ही ईश्वर आशीर्वाद वरदान देने के लिए विवश हो जाते हैं। उसके सारे कष्टों का निपटारा हो जाता है।

पंचामृत के पान से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पंचामृत में मिश्रित सभी पदार्थों का अपना विशिष्ट महत्व है जिससे संतति, ज्ञान, सुख, कीर्ति की प्राप्ति होती है।


दूध: ये पंचामृत का प्रथम भाग है जो प्रतीक है शुद्धता का अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह ही निष्कलंक होना चाहिए। इससे राजसुख, सम्मान, पद-प्रतिष्ठा व आरोग्य की प्राप्ति होती है।


दही: यह दूध की भांति सफेद होता है। यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। वहीं दही से उत्तम स्वास्थ्य, सुख-शांति और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।


घी: यह प्रतीक है स्नेह का, सभी से हमारे मधुर संबंध हों, यही भावना है। घी से परलौकिक ज्ञान, अचल सम्पत्ति, सफल कारोबार व कमलासन लक्ष्मी की कृपा बरसती है।


शहद: ये मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी है। इसके प्रयोग से बेरोजगारी से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। विशेषता है कि वह जल में रहते हुए भी आसानी से मिलता नहीं है। इसी प्रकार प्रत्येक मनुष्यों को भी संसार में रहते हुए सांसारिकता से अलग रहना चाहिए। सांसारिक बुराइयों को अपने अंदर सम्माहित न होने दें, अपने गुणों को बनाए रखें।


गंगाजल: इसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। इसका प्रयोग पंचामृत में भी किया जाता है। गंगाजल मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेट कर शांत करता है।

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Jyoti

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