सावन 2019 : भगवान शिव से जुड़ा ये रहस्य कर सकता है आपको हैरान

Saturday, Jul 20, 2019 - 03:34 PM (IST)

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हिंदू धर्म के ग्रंथों में समस्त देवो-देवताओं के साथ-साथ महादेव से भी जुड़ी भी कई पौराणिक कथाएं आदि वर्णित हैं। मगर आज कल के लोगों के पास इतना समय कहां कि वो अपने धर्म और देवी-देवताओं से जुड़े रहस्य आदि के बारे में जान सकें। तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनमें इन्हें जानने की दिलचस्पी तो होती है लेकिन किसी न किसी कारणवश वो इस में सफल नहीं हो पाते। तो अगर आप भी इन्हीं में से एक हैं आज का ये हमारा आर्टिकल आप ही के लिए है। जी हां, सावन के इस खास मौके पर हम आपको महादेव से जुड़ी ऐसी बातें बताने वाले हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं।

भगवान शंकर जिन्हें उनके भक्त अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। ग्रंथों में इनसे जुड़ी कई कथाएं वर्णित है, जिनमें आज हम आपको अवगत करवाने जा रहे हैं। आप में लगभग लोगों को भगवान शिव की दो संतानों के बारे में पता होगा, एक गणपति दूसरे कार्तिकेय। मगर बता दें हिंदू धर्म के शास्त्रों में भगवान शिव की कुल 9 संतानों थी। जिसमें से एक पुत्री और 8 पुत्र का उल्लेख मिलता है। बता दें इन संतानों में से कुछ गोद ली हुई और कुछ की उत्पत्ति चमत्कारिक तरीके से बताई जाती है।

भगवान शिव की संतानों के बारे में जानने से पहले उनकी पत्नियां के बारे में-
विभिन्न शास्त्रों में भगवान शिव की कितनी पत्नियां थीं, इस संबंध में भिन्न-भिन्न उल्लेख है। इनकी पहली पत्नी राजा दक्ष की पुत्री सती थीं। जिन्होंने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी थी। इन्होंने ही बाद में हिमवान और हेमावती के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया और पुनः शिव जी से विवाह किया। मान्यताओं के अनुसार उनकी तीसरी पत्नी काली, चौथी उमा और पांचवीं गंगा माता को कहा जाता है। कहा जाता है पार्वती जी के दो पुत्र और एक पुत्री हुई। पहले पुत्र का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश रखा गया। पुत्री का नाम अशोक सुंदरी रखा गया।

अशोक सुंदरी- ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को खत्म करने के लिए ही इस पुत्री का निर्माण किया था।

कार्तिकेय- इन्हें सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहा जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को इनका जन्म हुआ था, जिस कारण इस दिन इनकी विशेष पूजा करने का महत्व है।

गणेश- पुराणों में गणेश जी की उत्पत्ति की कितनी कथाएं मिलती हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। इनकी उत्पत्ति पार्वती जी ने चंदन के उबटन मिश्रण से की थी।

सुकेश- शिव का तीसरा पुत्र था जिसका नाम था सुकेश। इससे जुड़ी एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार दो राक्षस भाई थे- 'हेति' और 'प्रहेति'। प्रहेति धर्मात्मा हो गया और हेति ने राजपाट संभालकर अपने साम्राज्य विस्तार के लिए 'काल' की पुत्री 'भया' से विवाह किया। भया से उसके विद्युत्केश नामक एक पुत्र का जन्म हुआ। विद्युत्केश का विवाह संध्या की पुत्री 'सालकटंकटा' से हुआ। माना जाता है कि 'सालकटंकटा' व्यभिचारिणी थी। इस कारण जब उसका पुत्र जन्मा तो उसे लावारिस छोड़ दिया गया। विद्युत्केश ने भी उस पुत्र की यह जानकर कोई परवाह नहीं की कि यह न मालूम किसका पुत्र है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव और मां पार्वती की उस अनाथ बालक पर नज़र पड़ी और उन्होंने उसको सुरक्षा प्रदान ‍की। इसका नाम उन्होंने सुकेश रखा। इस सुकेश से ही राक्षसों का कुल चला।

जलंधर- जलंधर के बारे में तो लगभग सभी जानते ही हैं। इनके नाम से पंजाब का एक शहर भी है जो जालधंर के नाम से जाना जाता है। इससे जुड़ी कथा के अनुसार भगवान शिव द्वारा समुद्र में फेंकें तेज़ से जलंधर उत्पन्न हुआ था, जिसमें अपार शक्ति थी। मगर इसकी शक्ति का कारण उसकी पत्नी वृंदा थी जिसके पतिव्रत धर्म के कारण ही देवी-देवता मिलकर भी जलंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे। एक बार की बात है जलंधर ने श्री हरि विष्णु को परास्त कर देवी लक्ष्मी को उनसे छीन लेने की योजना बनाई। तब भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत धर्म खंडित कर दिया।, जिसके बाद शिव जी ने जलंधर का वध कर दिया।

अयप्पा- मान्यता क अनुसार भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं। कहा जाता है कि श्री हरि का का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है। भारतीय राज्य केरल में शबरीमलई में अयप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां विश्‍वभर से लोग शिव के इस पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है।

भूमा- प्राचीन समय में एक बार कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान लगाए बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर और बालक को जन्म दिया, जिसके चार भुजाएं थीं और वय रक्त वर्ण का था। इसका पालन पौषण भी पृथ्वी न ही किया। कहा जाता है भूमि का पुत्र होने के यह भौम कहलाया। बड़ा होने पर वह काशी पहुंचा और भगवान शिव की कड़ी तपस्या की। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे मंगल लोक प्रदान किया।

अंधक-  पुराणों मे शिव के अंधक नामक  पुत्र का भी वर्णन पढ़ने को मिलता है लेकिन इसमें इसका विस्तारपूर्वक उल्लेख कम ही मिलता है।

खुजा-  एक अन्य शिव का पुत्र था, जिसका नाम खुजा था। ये धरती से तेज किरणों की तरह निकले थे और सीधा आकाश की ओर निकल गए थे।

Jyoti

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