SAWAN SPECIAL : भोलेनाथ के अस्तित्व का प्रतीक है ये 5000 साल पुराना शिवलिंग

Saturday, Jul 20, 2019 - 11:40 AM (IST)

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हिंदू धर्म में देवी-देवता तो अनेक हैं मगर देवों के देव महादेव एक ही हैं। जिनके एक नहीं अनेकों नाम हैं। कोई इन्हें शिव शंकर कहता है तो कोई शंभूनाथ, कोई भोले भंडारी तो कोई त्रिपुरारी। शास्त्रों के अनुसार संपूर्ण सृष्टि का निर्माण त्रिदेव ने मिलकर किया। त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु व महेश)। महेश अर्थात भगवान शिव। यूं तो भगवान शिव को विनाश का देवता कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि जब धरती पर बुराई और पाप बहुत बढ़ जाएगा तब भगवान शंकर के क्रोध अग्नि की कोई सीमा नहीं रहेगी जिसके स्वरूप प्रलय आएगाऔर सारी सृष्टि नष्ट हो जाएगी। मगर अगर शिव के अर्थ को अच्छे से समझा जाए तो ये विनाश नहीं बल्कि नवनिर्माण देवता के रूप में नज़र आते हैं। क्योंकि सृष्टि के नाश के बाद इन्हीं के द्वारा ही फिर से नव जीवन का प्रारंभ हो सकेगा। कहने का मतलब ये है कि हमारे अस्तित्व का होना न होना शिव से ही है। शिव से ही प्रत्येक व्यक्ति का आंरभ है व शिव से ही अंत है।

अब आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें इन बातों पर शायद यकीन न हो। तो चलिए आपके इस शक को आज यकीन में बदल देते हैं। सावन के इस खास मौके पर आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो पृथ्वी पर स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे जहां लगभग 5000 साल पुराना शिवलिंग स्थापित है। इतना ही नहीं इस शिवलिंग को शिव शंकर के अस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।

गुजरात के मोसाद के पास एक ऐसा मंदिर है जिसमें स्थापित शिवलिंग सदियों पुराना है। कहा जाता है इस शिवलिंग का अस्तित्व लगभग 5000 साल पुराना है। पौराणिक किंवदंतियों की मानें तो यह शिवलिंग 1940 में खुदाई के दौरान मिला था। कहा जाता है इसके अलावा और ऐसी भी कई प्राचीन चीजें खुदाई में मिली थी।

चमत्कारी नदी में दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
यह अद्भुत मंदिर गुजरात के नर्मदा जिला, देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित है, जिसे जलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए मोसाद शहर से लगभग 14 कि.मी. की दूरी तय करना पड़ती है। महादेव का यह अति प्राचीन मंदिर पूर्णा नदी के तट पर है। यह नदी पूर्व दिशा की ओर बहती है।

सावन, महाशिवरात्रि व सोमवार को होती है खास पूजा
जलेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि जैसे बड़े मौकों पर विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा हर सोमवार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यहां के लोगों व जलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी का मानना है कि आज भी बहुत कम लोग इस मंदिर को जानते हैं।

Jyoti

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