यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!

Friday, Jul 24, 2020 - 08:43 PM (IST)

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पुराणों और धार्मिक कथाओं के अनुसार बिल्ब पत्र जिसे साधारण भाषा में बेल पत्र कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसकी उत्पत्ति मां भगवती के पसीने की बूंद से मैकल पर्वत पर हुई थी। तो वहीं भोलेनाथ को अधिक प्रिय है, यही कारण है भगवान शंकर से जुड़ा कोई भी अनुष्ठान इसके प्रयोग के बिना संपन्न नहीं किया जाता। खास तौर अगर श्रावण की बात हो तो कहा जाता है कि अगर भोलेनाथ का भक्त इनकी पूजा में इसका इस्तेमाल करना भूल जाता है तो उसे पूजा संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाती। कहने का मतलब है कि सावन व प्रत्येक सोमवार को होने वाली भगवान शंकर की पूजा तथा इनके अनुष्ठान में इसका अधिक महत्व होता है। आप में से लगभग लोगों ने देखा होगा कि बेल पत्र सामान्य तौर पर तीन पत्तियों वाले होते हैं, लेकिन मंडला जिले की हिरदेनगर की शिव वाटिका में जो बेल पत्र पाए जाते हैं, इन बेल पत्र में 5 से लेकर और 9 पत्तियां तक होती हैं।

दुर्लभ है हिरदेनगर की शिव वाटिका में 3 से ज्यादा दलों वाले बेल पत्र
यहां की मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति को यहां 3 तीन से ज्यादा दलों वाली बेल पत्र मिल जाए, तो उसे भगवान शंकर को चढ़ाने के बाद घर के मुख्य दरवाज़े में फ्रेम करा कर रखने से, पूजा स्थल पर रख कर प्रतिदिन उसकी पूजा करने से, रामायण या धार्मिक किताबों में दबा कर रखने से, तिज़ोरी व आलमारी, या व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रखने से अलग-अलग तरह के फल प्राप्त होते हैं। बता दें पंजाब केसरी के रिपोर्टर अरविंद सोन की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे पेड़ भारत मे लाखों में एक पाए जाते हैं। ये पेड़ ज्यादातर नेपाल में मिलते हैं।

हिरदेनगर की शिव वाटिका में है अनूठा पेड़
मंडला जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर लगभग 50 साल पुराना एक ऐसा ही पेड़ है जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। इस पेड़ के दर्शन करने और इसकी पत्तियों की चाह में शिव भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। वहीं इस पेड़ की सेवा करने वाला परिवार लोगों को इसके महत्व बताने के साथ ही बेल की पत्तियां भी तोड़ कर देता है।

पत्तियों वाला बेल पत्र बीमारियों से राहत दिलवाने में भी है कारगर
बेलबेल की पत्तियों में टैनिन, आयरन, कैलिशयम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे रसायन पाए जाते हैं। बेल की पत्तियों का चूर्ण पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। वहीं गैस होने पर ये तुरंत आराम देता है। जबकि बेल की पत्तियां खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। बेल के फल शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। जो शीतलता प्रदान करते हैं।

आयुर्वेद चिकित्सा में इसके खास महत्व के चलते अब इसकी खेती भी बहुत से इलाकों में की जाने लगी है। स्कंद पुराण के अनुसार देवी की ललाट के पसीने की बूंद से उत्पन्न हुए बेल पत्र के पेड़ में महालक्ष्मी का वास माना जाता है। वहीं वृक्ष की जड़ों में गिरजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी पत्तियों में पार्वती, फूलों में गोरी और फलों में कात्यायनी देवी निवास करती हैं। भगवान शंकर के त्रिनेत्र और त्रिशूल के साथ ही 3 लोकों के स्वरूप बेलपत्र के 12 दलों वाली पत्तियों को बारह ज्योतिर्लिंगों जैसा महत्व दिया जाता है।

 

Jyoti

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