शादी के कार्ड पर ये दो शब्द ज़रूर लिखे जाते हैं !
Tuesday, Dec 25, 2018 - 04:30 PM (IST)
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आजकल बैंड बाजा बारात का सीजन जोरो पर चल रहा है। आपके घर भी शादी के सुंदर-सुंदर निमंत्रण पत्र आ रहे होंगे। क्या आपने कभी सोचा है शादी के कार्ड पर लड़के के आगे ‘चिरंजीव’ और लड़की के आगे ‘आयुष्मति’ क्यों लिखा होता है ? कहते हैं इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, शायद जिसके बाद इस परंपरा का आरंभ हुआ होगा। आइए जानें-
लड़के के आगे ‘चिरंजीव’ लगाने की कथा संतानहीन ब्राह्मण ने महामाया की तपस्या करके उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा। महामाया ने कहा, मैं तुम्हें पुत्र तो दूंगी लेकिन ये चुनाव तुम्हें करना है की तुम्हें कौन सा पुत्र चाहिए। पहला महा मूर्ख होगा लेकिन दस हजार वर्ष तक जिएगा, दूसरा विद्वान होगा लेकिन उसकी आयु केवल पन्द्रह साल रहेगी।
ब्राह्मण बहुत समझदार था, उसने कम उम्र वाला विद्वान बेटा मांगा। माता ने उसकी बात मान कर आशीर्वाद दे दिया। अगले महीने उसकी पत्नी पेट से हो गई। ठीक नौ महीने के बाद उसने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। हंसी-खुशी पांच वर्ष का समय बीत गया। फिर ब्राह्मण ने उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी भेजा। वहां के सेठ ने अपनी पुत्री के साथ उस ब्राह्मण की शादी कर दी। शादी की पहली रात यमराज नाग रूप में आए और ब्राह्मण पुत्र के प्राण हर कर ले गए। जैसे ही वो जाने को मुड़े सेठ की बेटी ने नाग को कमंडल में बंद कर दिया। वह महामाया की भक्त थी, उसने उनकी कठिन आराधना आरंभ कर दी। यमराज के बंदी बनने से यमपुरी का काम रूक गया।
सभी देवताओं ने मिलकर प्रयास किया लेकिन यमराज को मुक्त नहीं करवा पाए। फिर सभी इकट्ठे होकर महामाया के पास गए और उनसे यमराज को छुड़ाने के लिए प्रार्थना करने लगे। महामाया ने प्रगट होकर यमराज को छोड़ने के लिए कहा तो वो मान गई। यमराज ने आजाद होकर ब्राह्मण के बेटे को जीवनदान दिया और चिरंजीवी रहने का वरदान भी दिया। शायद तभी से लड़को के नाम के आगे ‘चिरंजीव’ लगाने की प्रथा का आरंभ हुआ होगा।
लड़की के आगे ‘आयुष्मति’ लगाने की कथा
प्राचीनकाल में एक राजा हुए हैं आकाश धर, वह संतानहीन थे। नारद जी के कहने पर उन्होंने भूमि पर यज्ञ करके सोने के हल से धरती का दोहन किया।
तभी उन्हें भूमि से कन्या प्राप्त हुई। जब वह उस कन्या को अपने महल लेकर आए तो रास्ते में एक शेर खड़ा था। जो कन्या को अपना भोजन बनाना चाहता था। राजा डर गया और कन्या उसके हाथ से छूट गई। शेर ने कन्या को अपने मुंह में डाल लिया और वो कमल पुष्प में बदल गया। तभी श्री हरि विष्णु प्रगट हुए और कमल का स्पर्श किया। उसी समय कमल का फूल यमराज बन गया और कन्या पच्चीस साल की नवयुवती। राजा ने अपनी बेटी का विवाह श्री हरि विष्णु से कर दिया। यमराज ने उस कन्या को आयुष्मति कहकर पुकारा। शायद तभी से शादी के कार्ड पर लड़की के आगे ‘आयुष्मति’ लिखने की परंपरा शुरू हुई होगी।
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