सांप से भी जह़रीले होते हैं ये लोग
Friday, Jul 05, 2019 - 05:45 PM (IST)
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प्राचीन समय की बात है एक राजा न अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए अपने दरबार में अनेक तरह के प्रश्न उठाए। जिन प्रश्नों पर प्रत्येक विद्वान ने अपने –अपने ज्ञान के हिसाब से उत्तर देने की कोशिश की। राजा ने सभी विद्वानों से बड़े ही आदरपूर्वक प्रश्न किया कि विद्वतजन कृप्या मुझे यह बताएं कि सबसे तेज़ काटने वाला कौन होता है ?
इस पर राजा के दरबार में बैठे सभी विद्वानों ने बारी बारी उत्तर देना शुरू किया।
’राजा के प्रश्न पर एक विद्वान ने जवाब दिया, ‘महाराज, सबसे तेज़ काटने वाला ततैया होता है। उसके काटने पर इंसान की चीख निकल जाती है।’
दूसरे ने कहा, ‘महाराज, मेरी नज़र में तो सबसे तेज़ काटने वाली मधुमक्खी है।’
तीसरे ने कहा, ‘मेरे नजरिए से तो बिच्छू सबसे तेज काटता है।’
चौथे विद्वान बोले, ‘महाराज, सांप का काटा तो पानी भी नहीं मांगता। इसलिए वही सबसे तेज काटने वाला हुआ।’
सभी विद्वानों के जवाब सुनने के बाद भी राजा किसी के भी जवाब से संतुष्ट नहीं हुए।
आख़िर में उन्होंने दरबार में सिंहासन पर विराजमान राजगुरु से कहा, ‘गुरुजी, इसका उत्तर आप ही दीजिए।’
राजगुरु बोले, ‘हे राजन, मेरी दृष्टि में तो सबसे ज्यादा जहरीले दो ही होते हैं। एक निंदक और दूसरा चाटुकार।’
राजगुरु का ये प्रश्न सुनकर राजा प्रश्नवाचक मुद्रा में बोले, ‘गुरुजी कृपया, विस्तार से समझाइए।’
इस पर राजगुरु ने जवाब को संक्षेप करते हुए बताया, ‘राजन, निंदक के हृदय में हमेशा निंदा द्वेष रूपी ज़हर भरा रहता है। वह दूसरों की निंदा करके पीछे से ऐसे काटता है कि सामने वाला मनुष्य तिलमिला उठता है। तो वहीं चाटुकार अपनी वाणी में मीठा विष भरकर ऐसी चापलूसी करता है कि व्यक्ति अपने दुर्गुणों को गुण समझकर बहुत बुरी तरह से अहंकार के नशे में चूर हो जाता है। चापलूस की वाणी विवेक को जड़ से काटकर नष्ट कर देती है।'
हमारे समाज में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनमें निंदक व चापलूस ने मनुष्य को इस प्रकार काटा है कि वे जड़ से समूल नष्ट हो गए।
राजगुरु का ये जवाब सुनकर राजा व सभी विद्वतजन पूरी तरह से सहमत हो गए।