जन्मकु़ंडली से जुड़ी इन बातें से होता है धन-लाभ

Thursday, Nov 30, 2017 - 01:15 PM (IST)

ज्‍योतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा गया था। इसके गणित भाग के बारे में तो बहुत स्‍पष्‍टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्‍पष्‍ट गणनाएं दी हुई हैं। ज्योतिष मानव के जीवन को बेहतर करने में और भविष्य को सुधारने में मदद करता है। भविष्य और उसके जीवन को जानने के लिए, हमें अपने कुंडली की जांच करनी होती है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली से किसी भी व्यक्ति के जीवन से जुड़ी सभी बातें मालूम हो सकती हैं जैसे उसके ऊपर किस ग्रह का कैसा प्रभाव पड़ता है। 

 

1.लग्न भाव का स्वामी द्वितीय भाव में हो और द्वितीय भाव का स्वामी ग्याहरवें भाव में हो तो अचानक धन लाभ हो सकता है।


2.कुंडली में चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह होंगे तो ये शुभ योग होता है।


3.कुंडली के पंचम भाव में चंद्र एवं मंगल दोनों हों और पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो तो ये धनदायक योग होता है।


4.चंद्र और मंगल एक साथ हों, धन भाव (दूसरा भाव) और लाभ भाव (ग्याहरवां भाव) के कारक ग्रह एक साथ चतुर्थ भाव में हों तथा चतुर्थ भाव का स्वामी शुभ हो तो धन लाभ होता है।


5.कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल तथा गुरु की युति हो तो शुभ योग है।


6.धन भाव (दूसरा भाव) का स्वामी अष्टम भाव में तथा अष्टम भाव का स्वामी धन भाव में हो तो धन लाभ होता है।

 

7.कुंडली के पंचम भाव में बुध हो तथा लाभ भाव (दूसरा भाव) में चंद्र-मंगल की युति हो।

 

8. गुरु नवम भाव का स्वामी होकर अष्टम भाव में हो तो शुभ रहता है।

 

9.वृश्चिक लग्न कुंडली में नवम भाव में चंद्र और बृहस्पति की युति हो तो धन लाभ होता है।

 

10.मीन लग्न कुंडली में पंचम भाव में गुरु-चंद्र की युति होती है तो अचानक धन लाभ हो सकता है।

 

11.कुंभ लग्न कुंडली में गुरु और राहु की युति लाभ भाव (दूसरा भाव) में होती है तो शुभ रहता है।

 

12.चंद्र, मंगल, शुक्र ये तीनों ग्रह दूसरे भाव में होंगे तो लाभ हो सकता है।

 

13.कन्या लग्न कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र व केतु होते हैं तो लाभ के योग बनते हैं।

 

14.तुला लग्न कुंडली के लग्न भाव में सूर्य-चंद्र तथा नवम भाव में राहु हो तो श्रेष्ठ रहता है।

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