साल की ये तिथियां होती हैं अधिक शुभ, आप भी पा सकते हैं पुण्य

Thursday, Oct 01, 2020 - 12:01 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म के ग्रंथों में मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें उल्लेखित है। जिन्हें अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन में किसी प्रकार का कोई दुख नहीं भोगता बल्कि सुख समृद्धि प्राप्त करता है। मगर वो नियम क्या है इसके बारे में जानने के लिए पुराणों का पढ़ना आवश्यक है। जी नहीं, इसके अलावा भी एक आसाना तरीका है जिसके माध्यम से आप इन नियमों से अवगत हो सकते हैं। आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। हमारी वेबसाइट इस काम में आपका पूरा-पूरा साथ दे सकती है। क्योंकि आए दिन हम आपको इसके माध्यम से तमाम तरह की जानकारी देते रहते हैं। तो चलिए आज एक बार फिर अपनी इसी कड़ी को बरकरार रखते हुए आपको बताते हैं कि सनातन धर्म के ग्रंथों व पुराणों में बताए गए कुछ नियम आदि जिन्हें जान समझ कर अपनाने वाला अपने जीवनम में हर प्रकार का सुख प्राप्त करता है।

सनातन धर्म में ग्रंथों बताया गया साल में आने वाली कुछ तिथियां ऐसी होती हैं, जिनका अपने आप में अधिक महत्व होता है। इन तिथियों में मुख्य होती है प्रत्येक मास में आने वाली अष्टमी, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या और चतुर्दशी आदि। कहा जाता है ये तिथि बेहद खास मानी जाती हैं, यही कारण है इस दौरान भगवान की पूजा-अर्चना करनी विशेष रहती है। पुराणों में कहा गया है इन समस्त तिथि के दिन किसी भी व्यक्ति को भूलकर भी न तो मास का सेवन करना चाहिए न ही शरीर पर किसी भी प्रकार के तेल की मालिश करनी चाहिए। ऐसे काम करने से इस तिथि का पुण्य कम हो जाता है।

धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इंसान स्वयं को भगवान के सबसे करीब तब पाता है जब वह उनकी आराधना में लीन होता है। ऐसे में पूजा करते समय प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि देवी-देवता से जुड़ी कोई भी चीज़ जैसे प्रतिमा, शंख, पूजा सामग्री, शालिग्राम या दीया कभी भी अशुद्ध स्थल पर या जमीन पर न रखा हो। बल्कि इस बात का खास ध्यान रखें कि इन्हें हमेशा शुद्ध आसान पर तथा ज़मीन से ऊपर रखें। 

इसके अलावा शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि कभी किसी पुरुष को किसी महिला की ओर बुरी नज़र से नहीं देखना चाहिए न ही किसी महिला का अपमान करना चाहिए। कहा जता है जो व्यक्ति अपने जीवन में महिलाओं का अपमान करता है उसके घर-परिवार में सुख-समृद्धि के साथ-साथ वैभव की हमेशा कमी रहती है। साथ ही साथ बता दें पराई चीज़ों पर हक पाने की कोशिश करने वालों को जीवन में दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। 

अक्सर लोगों की इच्छा होती है कि वे सूर्य और चंद्रमा को अस्त होते देखें। परंतु सनातन धर्म के शास्त्रों में इसे इस दौरान निहारना नहीं चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ऐसे ये दृश्य देखने वाले व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता हावी होने लगती है। पुराणों में वर्णित है कि सूर्य को उदय होते देखने से जहां एक तरफ़ जीवन में सकारात्मकता आती हैं तो वहीं सूर्यास्त देखने से जीवन में निराशा पैैदा होने लगती है। 

कहा जाता है शास्त्रों में दान का अधिक महत्व है, न केवल सनातन धर्म में बल्कि हर धर्म के लोग दान रकरते हैं। अगर बात सनातन धर्म की करें तो इसके बारे में कहा गया है कि दान करने से भगवान की कृपा तो प्राप्त होती ही है, साथ ही साथ कुंडली में ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी कम होता है। इस संदर्भ में शास्त्रों में लिखा है व्यक्ति को उस दिन ही दान करना चाहिए जिस तिथि को दान करने का संकल्प लिया हो। 

सनातन धर्म में जितना महत्व है सुबह-शाम होने वाली पूजा-अर्चना का है, उतना ही महत्व घर-परिवार के लोगों के सम्मान का है। पुराणों में वर्णन मिलता है जो व्यक्ति अपने जीवन में अपने जसे बड़ों का, माता-पिता, गुरुजनों का गरीबों का असहाय लोगों तथा महिलाओं का सम्मान न कर उन्हें किसी भी प्रकार दुख देता है उस पर देवी लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं होती।
 

Jyoti

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