ये हैं केंद्रीय शासित प्रदेश लद्दाख के Famous मठ

Monday, Nov 04, 2019 - 12:33 PM (IST)

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पिछले महीने की 31 अक्टूबर से जम्म-कश्मीर और लद्दाख में एक नई सुबह की शुरूआत हुई है। क्योंकि इन दोनों को केंद्रीय शासित प्रदेश बन गया है। अगर दोनों के धार्मिक परंरपराएं और रीति-रिवाज़ों की बात करें दोनों ही एक-दूसरे से काफी अलग है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि लद्दाख में स्थित ऐसे अनगिनत मठों के बारे में जो यहां लद्दाख के उबड़-खाबड़ इलाकों में है। तो अगर आप भी अभी तक इन मठों से अंजान है तो चलिए जानें इन मठों से जुड़ी कुछ खास बातें-  

मुलबेख मठ- मुलबेख नामक ये मठ श्रीनगर-लेह हाइवे से जाते हुए करगिल के बाद पहला स्टॉप पर, यह हाइवे के ठीक किनारे खड़ी चट्टान पर बना हुआ है।

थिकसे मठ- थिकसे मठ विशाल संरचना तिब्बत के पोटाला पैलेस के आधार पर बनाई गई है। जिस पहाड़ी की चोटी पर इसे बनाया गया है वो करीब 12 मंजिल की है और लेह से 19 किलोमीटर दूर है। यहां मैत्रेय की 49 फीट ऊंची मूर्ति है जो लद्दाख में सबसे बड़ी है मूर्ति मानी जाती है। बता दें इसके अलावा यहां बौद्ध अवशेष जैसे प्राचीन थंगका, टोपी, बड़ी तलवारें, पुराने स्तूप मौज़ूद है।

हेमिस मठ- लद्दाख में सबसे बड़े बौद्धिक संस्थान के रुप में हेमिस मठ को जाना जाता है। मान्यता है कि इस मठ का अस्तित्व 11वीं सदी से भी पहले का है। यहां मनाया जाने वाला हेमिस त्यौहार देशभर में प्रसिद्ध जो जून में लगता है।

लामायुरु मठ- श्रीनगर-लेह हाइवे से लद्दाख की तरफ़ लामायुरु पढ़ता है। इसे भी लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठ में से एक माना जाता है।

फुकताल मठ- नया केंद्रीय शासित प्रदेश लद्दाख की ऊंची-नीची पहाड़ियों में स्थित फुकताल मठ दूर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते जैसा प्रतीत होता है। इतिहासकारों का मानना है कि गुफाओं में छिपे इस मठ का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है। बताया जाता है समुद्रतल से 4800  मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित इस मठ में करीब 200 बौद्ध भिक्षु निवाल करते हैं। 

 

Jyoti

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