ये 5 बातें बनाती हैं शरद पूर्णिमा की रात को SPECIAL

Friday, Oct 11, 2019 - 02:56 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दीवाली, दशहरा, करवाचौथ, राम नवमी, होली आदि सब हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में शामिल हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली शरद पूर्णिमा को भी इन्हीं में से एक माना जाता है। इसका कारण है इस दिन का धार्मिक मान्यताओं से संबंध होना। यही कारण है कि इस दिन बहुत से लोग व्रत आदि रखती हैं और चंद्रमा की विधि वत पूजा करती हैं। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान में खीर रखने का भी विधान है। मगर क्या आप जानते हैं इन मान्यताओं के अलावा भी अन्य और धार्मिक कारण है जिस कारण शरद पूर्णिमा की रात अपने आप में स्पेश्ल है। चलिए जानते हैं वो कारण-

रास पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा को लेकर श्रीमद्भगवद्गीता में उल्लेख मिलता है कि इस रात भगवान कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सारी गोपियां उनकी ओर खीचीं चली आईं। जिसके बाद इस रात उन्होंने सभी गोपियों संग मिलकर ‘महारास’ रचाया था। जिस कारण इसे ‘रास पूर्णिमा’ कहा जाता है।

प्रचलित किंवदंती के अनुसार इस रात भगवान कृष्ण ने इन गोपियों के साथ रास रसाने के लिए अनेकों रूप धारण किए थे। इस महारास को लेकर यह भी कहा जाता है कि कृष्ण ने अपनी शक्ति से शरद पूर्णिमा की रात को भगवान ब्रह्मा की एक रात जितना लंबा कर दिया। बता दें शास्त्रों में बताया गया है कि ब्रह्मा की एक रात मनुष्यों के करोड़ों रातों के बराबर होती है।

जाग्रति पूर्णिमा
एक अन्य मान्यता के मुताबिक शरद पूर्णिमा की रात धन की देवी लक्ष्मी ने आकाश में विचरण करते हुए कहा कि ‘को जाग्रति’, जिसका अर्थ होता है ‘कौन जगा हुआ है’। कहा जाता है जो लोग शरद पूर्णिमा के दिन और रात को जागकर देवी लक्ष्मी का आवाहन करते हैं उन पर इनकी उनपर खास कृपा होती है।

कोजागरी पूर्णिमा
अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। जिसके चलते शरद पूर्णिमा के दिन भारत के कई हिस्सों में देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होती है।

कुमार पूर्णिमा
बताया जाता है ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन यहां कुवांरी लड़कियां अच्छे वर के लिए पूरा दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं और शाम को चांद निकलने के बाद ही व्रत खोलती हैं।

अमृत वर्षा
जैसे कि हमने बताया इस रात बनाई जाने वाली खीर से भी कई बातें जुड़ी हैं। इस रात की बनी खीर को रात 12  बजे तक खुले आसमान में रखने के बाद खाने से चर्म रोग, अस्थमा, दिल की बीमारियां, फेफड़ों की बीमारियां और आंखों की रोशनी से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

 

Jyoti

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