इस मंदिर में लगातार बढ़ रहा श्री गणेश की प्रतिमा का आकार

Tuesday, Nov 07, 2017 - 03:03 PM (IST)

भारत में अलग-अलग धर्मों के अनुयायी रहते हैं। सभी धर्मों का इतिहास चमत्कारिक घटनाओं से भरा हुआ है। स्वर्गलोक में बैठे ईश्वर समय-समय पर धरती पर अवतार लेते आए हैं, लेकिन कई बार साक्षात रूप में नहीं बल्कि, प्रतीकात्मक रूप में ही अपने भक्तों को अपने होने का एहसास करवाते रहे हैं। भारत के उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक आंध्र प्रदेश के कनिपकम में स्थित विनायक मंदिर हैं। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिसका निर्माण चोल वंश ने 11 शताब्दी में करवाया था इसके बाद विजयनगर के शासकों ने वर्ष 1336 में इसका विस्तार किया।

 

इतिहास
मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कथा प्रचलित है जो ईश्वर के होने का एक बड़ा प्रमाण देती है। एक बार एक गांव में तीन विकलांग भाई रहते थे। उनमें से एक बधिर, दूसरा मूक और तीसरा दृष्टिहीन था। उनके पास भूमि का एक बहुत ही छोटा हिस्सा था, वह उस पर खेती कर, अपना गुजारा करते थे। जिस कुएं से पानी निकालकर वे खेती किया करते, एक बार उस कुएं का पानी सूख गया। इसलिए वे खेत में पानी नहीं डाल पा रहे थे। ऐसे हालातों में तीनों में से एक भाई कुएं को और गहरा खोदने के लिए उसमें उतर गया। थोड़ी सी ही खुदाई करने के बाद उसे कुएं के अंदर पत्थर की एक प्रतिमा मिली। जब उसने प्रतिमा पर लोहे की छड़ी से वार किया तो उसमें से रक्त निकलने लगा और देखते ही देखते कुएं का पानी खून की तरह लाल हो गया।

 

इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने तीनों भाइयों की शारीरिक कमियां दूर हो गई। जब गांव वालों को इस घटना का पता चला तो वे सभी ने कुएं में मौजूद प्रतिमा को बाहर निकालने के लिए कुएं की खुदाई शुरू की लेकिन भगवान विनायक की यह प्रतिमा पानी की लहर में से अपने आप प्रकट हो गई। इस घटना के बाद गांव वालों ने प्रतिमा पर नारियल का प्रसाद चढ़ाकर मंगला आरती कर इस प्रतिमा को स्वयंभू विनायक का नाम दे दिया। आज भी इस स्थान पर यह स्वयंभू प्रतिमा विद्यमान है और इतना ही नहीं उस दिव्य कुएं में भी हर मौसम, हर परिस्थिति में पानी रहता है। 


मूर्ति का अाकार लगातार बढ़ता जा रहा है 
इस प्रतिमा महिमा और इसके चमत्कारिक होने का सिलसिला यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि इससे संबंधित अनेकों चमात्कार और प्रसिद्ध है। यह प्रतिमा तब से लेकर अब तक अपने आकार को भी बढ़ाती जा रही है। पहले यह बिना आकार का कोई पत्थर था लेकिन अब इसी प्रतिमा में आपको पेट और घुटने भी नजर आएगें। एक भक्त ने करीब 50 साल पहले इस मूर्ति के नाप का ब्रेसलेट दान किया था, जो पहले इस प्रतिमा के हाथ में सही आता था। लेकिन अब वह ब्रेसलेट मूर्ति के हाथ में नहीं आता। कनिपकम विनायक की यह प्रतिमा, दो पक्षों के झगड़े भी सुलझाती है। इस प्रतिमा के पास कुएं की ओर मुंह कर विनायक की शपथ लेकर लोग आपसी मसलों को हल करते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यहां ली गई शपथ किसी भी कानून या न्याय से बहुत बड़ी है।

 

यहां होते हैं बड़े-बड़े मसले 
कहा जाता है कई बार बड़े से बड़ा अपराधी भी इस कुएं में मात्र स्नान कर अपने गुनाह को कुबूल कर लेता है। यही वजह है कि कनिपकम सिद्धि विनायक मंदिर की लोकप्रियता दूर दराज तक फैल चुकी ह  हुईै। स्थानीय न्यायालयों में भी प्रतिमा की शपथ दिलाकर गवाही लेने का विशेष प्रावधान है।

 

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