अन्यायी के बुरे कर्मो का परिणाम भी होता है बुरा

Thursday, Jan 04, 2018 - 12:59 PM (IST)

एक गरीब किसान के पास एक छोटा-सा खेत और एक बैल था। बड़े परिश्रम से उसने डेढ़ सौ रुपए इकट्ठे किए और एक और बैल पशु हाट से खरीदा। रास्ते में लौटते समय उसे चार लड़के मिले, जिन्होंने उससे बैल खरीदना चाहा। किसान ने सोचा कि यदि मुझे डेढ़ सौ से अधिक मिल गए तो बेहतर बैल खरीदूंगा। उसने बैल की कीमत लड़कों को दो सौ बताई। वे बोले, ‘कीमत तो ज्यादा है। किसी समझदार व्यक्ति को पंच बनाकर फैसला करा लेते हैं।’ 

 


वास्तव में चारों लड़के एक ठग पिता की संतान थे और उन्होंने अपने पिता को ही पंच बना दिया। पिता ने बैल की कीमत मात्र पचास रुपए तय की। वचन से बंधे किसान को बैल पचास रुपए में बेचना पड़ा, किंतु वह इस धोखे को समझ गया। अगले दिन किसान सुंदर महिला के वेश में चारों भाइयों से मिला। उन्होंने विवाह की इच्छा व्यक्त की। तब वह बोला, ‘जो सबसे पहले मेरे लिए बनारसी साड़ी, मथुरा के पेड़े और सहारनपुर के आम लाएगा, मैं उसी से शादी करूंगी।’

 

चारों शहर की ओर दौड़ पड़े। तब ठग पिता को अकेले में किसान ने खूब पीटा और अपना धन वापस ले लिया। चारों लड़के वापस लौटे तो पिता को बेहाल पाकर मन मसोसकर रह गए, क्योंकि किसान का पता तो जानते नहीं थे। अगले दिन किसान हकीम बनकर वृद्ध ठग की चोटों का उपचार करने पहुंचा और लड़कों को चार जड़ी-बूटी लाने भेज दिया। इस बार उसने ठग की पिटाई कर अपना बैल छुड़ा लिया। चारों भाई लौटे तो पिता को और बदतर अवस्था में पाया। अब उन्होंने प्रण ले लिया कि कभी किसी के साथ ठगी नहीं करेंगे। इस तरह एक मामूली किसान ने ठगो को अपनी समझदारी से सुधार दिया। 
 

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