स्वंय का भी भला औरों का भी भला करने वाला व्यक्ति ही होता है व्यावहारिक

Monday, Nov 20, 2017 - 04:28 PM (IST)

एक बादशाह को एक नौकर की जरूरत थी। नौकर भर्ती की सूचना पाकर काफी लोग उपस्थित हुए। परीक्षण के उपरांत 3 व्यक्तियों को बादशाह के सामने खड़ा किया गया। अंतिम परीक्षण के तौर पर बादशाह ने पूछा कि ‘बताओ, इत्तेफाक से मेरी दाढ़ी और तुम्हारी दाढ़ी में आग लग जाए तो तुम क्या करोगे?’

 


पहला व्यक्ति तत्काल बोल उठा, ‘हुजूर! आपकी दाढ़ी की आग तत्काल बुझा दूंगा। अपनी दाढ़ी की चिंता ही नहीं करूंगा।’ दूसरा बोला, ‘जहांपनाह! पहले मैं अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा और फिर आपकी दाढ़ी की चिंता करूंगा।’ तीसरा बोला, ‘हुजूर! एक हाथ से आपकी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा और दूसरे हाथ से अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा।’

 


बादशाह ने तीनों के उत्तर सुनकर कहा, ‘पहला व्यक्ति अव्यावहारिक है। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होता जो कठिनाई या विपदा की घड़ी में अपनी सुरक्षा की बात न सोचकर दूसरे के बारे में सोचता हो। जो व्यक्ति अपनी छोड़ कर दूसरे के हित-चिंता करता हो, वह सर्वथा अव्यावहारिक है। जो व्यक्ति अव्यावहारिक बात करता है वह हमेशा धोखा देता है। अज्ञानी व्यक्ति सदा अव्यावहारिक बात करता है। वह ऐसी बात करता है कि सामने वाले को लुभा लेता है किंतु उसे धोखा देता है।

 


‘दूसरा आदमी स्वार्थी है। स्वार्थी व्यक्ति किसी का भला नहीं करता। वह खुदगर्ज होता है। वह सदा अपनी ही बात सोचता है। अपना ही भला करता है। दूसरे की बात को वह सोच ही नहीं सकता। वह आदमी खतरनाक भी होता है।’

 


‘तीसरा आदमी व्यावहारिक है। वह न अव्यावहारिक है और न ही स्वार्थी। वह व्यवहार के धरातल पर जीता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं का भी भला करता है और दूसरों का भी।’ बादशाह ने तीसरे को नौकरी दे दी और बाकी दोनों को विदा कर दिया।
 

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